-सिर्फ चेकिंग और चालान से बचने के लिए सस्ते-घटिया हेलमेट का यूज कर रहे हैं लाखों कानपुराइट्स

- ट्रैफिक पुलिस की सख्ती बढ़ने से चौराहों और फुटपाथों पर सजीं हेलमेट की दुकानें, खूब हो रही बिक्री

-आईएसआई मार्का के नाम पर भी चल रहा बड़ा खेल, फर्जी मार्का लगाकर बेचे जा रहे हैं घटिया हेलमेट

KANPUR : पब्लिक की सेफ्टी को लेकर जबसे ट्रैफिक रूल्स में सख्ती की गई है। तब से सिटी की रोड्स पर इसका असर भी देखने को मिला है। टू व्हीलर चलाने वालों में हेलमेट पहनने की आदत पड़ी है। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि पब्लिक ने ट्रैफिक रूल्स को सख्ती से लागू कराने की सही वजह को समझा ही नहीं। पब्लिक अपना चालान तो बचाना चाहती है, लेकिन अपनी जिंदगी को बचाना नहीं चाहती है। तभी तो लोग घटिया क्वालिटी के सस्ते हेलमेट लगाकर सिटी की रोड्स पर जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। पब्लिक की इस नादानी का फायदा उठाकर तमाम लोगों ने फर्जी हेलमेट बनाने की फैक्ट्रियां शुरू कर दीं और हर महीने लाखों रुपए कमा रही हैं। इस मामले को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट कॉलिंग पर सीनियर ऑफिसर्स के साथ पब्लिक ने भी अपनी बात रखी, जिसके बाद डीजे आई नेक्स्ट ने हेलमेट मार्केट का रियेलिटी चेक किया, जहां चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई।

जानकर भी क्यों बन रहे अंजान

हैरानी की बात है कि पब्लिक अच्छे से जानती है कि सस्ते हेलमेट की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। फिर भी न जाने क्यों लोग जानकर भी अंजान बन रहे हैं। बकरमंडी में हेलमेट सेलर ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि कस्टमर्स की बात करें तो अभी भी 70 परसेंट लोग अपनी सेफ्टी नहीं बल्कि जेब देखकर कम से कम रेट का फेक हेलमेट ही खरीदना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ कस्टमर्स आईएसआई मार्का वाले कम रेट के हेलमेट की डिमांड करते हैं, जिन्हें फर्जी आईएसआई मार्का का 300 से 400 रुपए का फेक हेलमेट खूब लुभा रहा है। ऐसे में डीजे आई नेक्स्ट अपने रीडर्स से रिक्वेस्ट करता है कि चंद पैसों के लालच में अपनी सेफ्टी से खिलवाड़ न करें।

आईएसआई मार्का का फेक हेलमेट

हम कस्टमर बन कर एक हेलमेट बेचने वाले की शॉप पर पहुंचे। यहां हमने उससे कम कीमत का आईएसआई मार्का वाला हेलमेट दिखाने को कहा। इसपर वो अपने पड़ोस की दुकान पर गया और एक 400 रुपए का फर्जी आईएसआई मार्का वाला हेलमेट लेकर आ गया।

फेक हेलमेट हेल्थ को भी पहुंचा रहा नुकसान

- फेक हेलमेट बाइक सवार की आंखों को नुकसान पहुंचाता है।

- इसमें लगा फ्रंट ट्रांसपैरेंट ग्लास भी किसी तरह से सेफ नहीं होता

- फर्जी हेलमेट से बाइक सवार को सर्वाइकल की प्रॉब्लम भी हो सकती है।

डॉ। कीर्तिवर्धन सिंह के अनुसार

ऐसे करें फेक हेलमेट की पहचान

फेमस हेलमेट कंपनी के एमडी राजीव कपूर के अनुसार देश में करीब 80 परसेंट हेलमेट नकली बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई 450 रुपये से कम में हेलमेट बेच रहा है, तो वो नकली ही होगा। क्योंकि आईएसआई मार्क हेलमेट बनने की मिनिमम कॉस्ट ही 450 पड़ती है।

टेस्टिंग के बाद बनता है ब्रांडेड हेलमेट

कंडीशनिंग टेस्ट- हेलमेट को 50 डिग्री सेल्सियस मैक्सिमम और मिनिमम टेम्प्रेचर पर रखा जाता है।

अल्ट्रावायलेट रेडिएशन चेक- 48 घंटे तक 125 वाट के जिनोफाइड लैंप की रोशनी में रखा जाता है।

नमी का परीक्षण - चार घंटे पानी के तेज बहाव में रखा जाता है।

आघात परीक्षण - पांच किलोग्राम का भार ढाई मीटर की ऊंचाई से पूरी ताकत से डाला जाता है।

नोट- आंकड़े ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड वेबसाइट के अनुसार।

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वर्जन-

फेक हेलमेट पर चालान का कोई प्राविधान नहीं है। लेकिन, फेक हेलमेट आपकी एक्सीडेंट के वक्त सेफ्टी नहीं कर सकता है। इसलिए, जरूरी है कि जागरुक होकर सही हेलमेट की खरीद करें और सेफ रहें।

- सुनीत दत्त, एआरटीओ, प्रवर्तन

हम वाहन चेकिंग के दौरान फेक हेलमेट लगाने वालों को इससे होने वाले नुकसान बता कर कर छोड़ देते हैं। लेकिन, चेकिंग के दौरान 60 परसेंट तक वाहन सवार हमें फेक हेलमेट लगाए हुए ही मिलते हैं, जो सिर्फ चालान से बचने को हेलमेट पहनते हैं।

- सुशील कुमार, एसपी ट्रैफिक

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- 65 हजार हेलमेट की शहर में बिक्री होती है हर साल

- 02 गुना बिक्री होती है फेक व सस्ते हेलमेट की सिटी में हर साल

- 40 परसेंट फेक हेलमेट पहनने वालों की जान चली जाती है एक्सिडेंट के दौरान