-यूपीटीटीआई की प्रोफेसर ने डेवलप किया है फूट्स व वेजीटेबल्स वेस्ट की कोटिंग वाला फैब्रिक, आसपास नहीं फटकेंगे मच्छर

-इंस्टीट्यूट में किए गए अब तक सभी लैब ट्रायल रहे हैं सफल, लंबे समय तक यूज करने के बाद भी खराब नहीं होगा फैब्रिक

KANPUR: मच्छरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए यूपीटीटीआई नई टेक्निक पर काम कर रही है। कॉटन व सिल्क के फैब्रिक्स पर ऐसी कोटिंग की जा रही है कि मच्छर आस-पास नहीं फटकेंगे। इस कोटिंग में फ्रूट्स व वेजीटेबल्स के वेस्ट का यूज किया जा रहा है। फैब्रिक का ट्रायल यूपीटीटीआई में किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर नीलू कॉम्बो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं।

एकेटीयू ने की फंडिंग

यूपीटीटीआई के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट की सीनियर प्रोफेसर डॉ। नीलू कांबो ने 6 महीने पहले पं। दीन दयाल उपाध्याय रिसर्च स्कीम के तहत मच्छरों को भगाने वाले फैब्रिक पर एकेटीयू में प्रोजेक्ट दिया था। यूनिवर्सिटी के एक्सप‌र्ट्स ने प्रोजेक्ट को परखने के बाद रिसर्च के लिए 8 लाख रुपए की फंडिंग की है।

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6 महीने पहले प्रोफेसर ने एकेटीयू को दिया था यह प्रोजेक्ट

8 लाख रुपए की फंडिंग की गई है प्रोजेक्ट पास होने पर

3 महीने में मिल जाएंगे फैब्रिक के फाइनल रिजल्ट

5 ज्यादा लैब ट्रायल रहे हैं सफल,

सभी िरजल्ट फाइनल

डॉ। नीलू कांबो ने बताया कि फैब्रिक्स पर कोटिंग के लिए पहले तुलसी और गेंदा के फूल का रस व नीम के फल का यूज कर रही थीं। अब इनके अलावा कुछ फ्रूट्स व वेजीटेबल वेस्ट का भी यूज किया जा रहा है। लैब लेवल पर लगातार ट्रायल चल रहे हैं। अभी तक सारे रिजल्ट पॉजिटिव आए हैं। डॉ। नीलू ने बताया कि मच्छरों को भगाने वाले फैब्रिक्स के फाइनल रिजल्ट दिसंबर में मिल जाएंगे।

बॉक्स

धुलाई के बाद मच्छर अटैक करते हैं

मच्छरों से बचाने वाली बेडशीट अभी मार्केट में मिल रही हैं लेकिन वह काफी महंगी है। दो से तीन धुलाई के बाद मच्छरों पर असर भी खत्म हो जाता है। यूपीटीटीआई में जो फैब्रिक डेवलप किया जा रहा है उसमें इस तरह की प्रॉब्लम आने की कोई संभावना नही है। फैब्रिक को लंबे समय तक यूज किया जा सकेगा।

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