इससे एक चौंकाने वाला सच सामने आया। डॉक्टरों की मानें तो इस बुखार का कारण कानपुर का ही कोई लोकल वायरस हो सकता है। खास बात ये है कि ये ‘बॉर्न इन कानपुर’ वायरस किसी बॉयोलाजिकल म्यूटेशन या ट्रांसफॉर्मेशन की वजह से पैदा हुआ है।

ये है अलग

एक्सपट्र्स के अनुसार जिस तरह से सिटी और आसपास के एरियाज में बुखार से मौतें हो रही हैं, उससे साफ है कि यहां पर किसी नए वायरस ने अटैक कर दिया है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ। अतुल गर्ग के मुताबिक ऐसे करीब 5000 वायरस हैं जो ह्यूमन बॉडी में फीवर का कारण बनते हैं। जबकि जानवरों में इंफेक्शन क्रियेट करने वाले ऐसे वायरसों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। वायरसों की संख्या इतनी ज्यादा होने की वजह से हर तरह के वायरस के लिए अलग टेस्ट कराना बहुत मुश्किल है। यहां पर आमतौर पर डेंगू, मलेरिया, वायरल, जेई और स्वाइन फ्लू के सिम्टम्स दिखने पर 10 से 12 जरूरी टेस्ट कराए जा रहे हैं। लेकिन, रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी बुखार से ही मौतें हो रही हैं। ऐसे में बड़ी बात नहीं है कि सिटी में एक अलग तरह के वायरस भी डेवलप हो चुका है। बेशक इसे कनपुरिया वायरस ही कहेंगे।

डिटेक्ट करने में जुटे एक्सपट्र्स

तमाम कोशिश करने के बाद भी जब मेडिकल कॉलेज के एक्सपट्र्स सिटी में फैल रहे बुखार के वायरस का पता लगाने में नाकाम रहे हैं। काफी जद्दोजहद के बाद अब जीएसवीएम कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार के निर्देशन में माइक्रोबॉयोलाजी डिपार्टमेंट के एक्सपट्र्स पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी से टाई-अप करने के प्रयास में जुट गए हैं।

तैयार करनी होगी फुल केस स्टडी

जीएसवीएम के डॉक्टर्स का मानना है कि अपने प्रयासों के चलते जल्द ही वो कनपुरिया वायरस की एंटी डोज बनाने में कामयाब हो जाएंगे। डॉ। अतुल गर्ग के मुताबिक इस नए और लोकल वायरस को डिटेक्ट करने के लिए पेशेंट्स की फुल केस स्टडी तैयार की जा रही है। जैसे ही ये केस स्टडी कम्पलीट हो जाएंगी, उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी भेजा जाएगा। वायरस का पता लगाने के लिए पेशेंट का बैकग्राउंड भी अहम रोल रखता है, इसलिए उसे भी मेंशन करना होगा।

अगस्त में बुखार के 8,500 पेशेंट्स

हैलट हॉस्पिटल में अगस्त महीने में कुल 21 हजार पेशेंट्स आए। इनमें करीब 40 परसेंट, मतलब 8500 लोग बुखार से पीडि़त थे। इस दौरान पैथोलॉजी लैब में डेली दो से छह हजार टेस्ट किए जा रहे हैं। जिसमें हर दिन करीब 8 से 10 टेस्ट डेंगू, मलेरिया और जेई के कराए जा रहे हैं।

यहांं पर पहले ही लोकल वायरस फैला चुके हैं दहशत

वैल्लूर : वैल्लूर वायरस

केयनासुर : केयनासुर फॉरेस्ट वायरस

नीलगिरी : नीलगिरी वायरस

विशाखापट्टनम : विशाखापट्टनम वायरस