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RANCHI : देश के लिए हंसते-हंसते जान गंवा देने वाले शहीदों की चिताओं पर फूलों की बौछार करने वालों की कोई कमी नहीं होती। लेकिन, उस शहीद के परिवार को देखने शायद ही कोई आता हो। रांची के अमर सपूतों में से एक नागेश्वर महतो कारगिल युद्ध के दौरान 13 जून 1999 को वीर गति को प्राप्त हुए थे। तब उनकी पत्नी संध्या देवी की उम्र महज 26 साल थी। तीन बेटों के लालन-पालन की जिम्मेवारी भी थी। बहुत ही कठिनाई से उन्होंने तीनों बच्चों को पाला। हर पल उन्हें अपने पति की कमी खली, लेकिन तसल्ली इस बात की थी कि पति की शहादत के बावजूद भारत की तिरंगा नहीं झुका। &दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट&य से बातचीत में संध्या ने बताया कि उनके लिए वह दिन काफी मनहूस था, जब सेना के जवान उनके पति की शहादत की खबर लेकर उनके घर आए थे। बकौल संध्या, एक पल को ऐसा लगा कि पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो।

दिन भर होश नहीं आया था

संध्या बताती हैैं कि उनके पति की शहादत की खबर मिलने के बाद उन्होंने सुध-बुध खो दिया था। पूरे एक दिन तक कोई होश नहीं था। फिर, जब इस सच्चाई को जज्ब करने के लायक हुई, तो देखा कि पति की लाश तिरंगे में लिपटी हुई आई है। उनकी अंतिम विदाई जिस राजकीय सम्मान के साथ हुई, उसने पूरे परिवार को हिम्मत दी। गुजरे बीस वर्षों के सफर को याद करते हुए संध्या बताती हैैं कि इस दौरान उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे। हमेशा पति की याद आती रही। हर लम्बा पहाड़ जैसा गुजरा लेकिन बच्चों की बेहतर परवरिश से इस बात का सुकून है कि जाते-जाते, मेरे पति जो विरासत सौंप गए थे उसे सहेजने में सफल रही। बड़ा बेटा मुकेश सरकार द्वारा आवंटित पेट्रोल पंप का बिजनेस संभाल रहा है। वहीं मंझला बेटा अभिषेक हैदराबाद स्थित डिलॉयड कंपनी में सीए है। छोटा बेटा आकाश सीए की तैयारी कर रहा है। परिवार के सदस्यों में शहीद नागेश्वर महतो के एक बड़े भाई और एक छोटे भाई हैैं, जो हमेशा संध्या और उनके बच्चों के साथ खड़े रहे। संध्या के माता पिता के साथ ही शहीद नागेश्वर के माता-पिता का भी काफी पहले ही देहांत हो चुका है।

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बिजनेस हो गया है डाउन

संध्या देवी बताती हैैं कि धुर्वा स्थित उनके पेट्रोल पंप का सामने घेराबंदी कर दी गई है। ट्रैफिक डायवर्ट करने के लिए किए गए इस इंतजाम के कारण उनके पंप का बिजनेस डाउन हो गया है। कई बार उन्होंने रांची डीसी से मुलाकात की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाईं। आज भी उन्हें उम्मीद है कि सीएम एक न एक दिन शहीद के इस परिवार की सुध लेंगे। इसी उम्मीद में उनका परिवार हर रोज पेट्रोल पंप खोलता है, लेकिन सेल नहीं होने के कारण आर्थिक संकट में डूबता चला जा रहा है।

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