अमृतसर/चंडीगढ़ (पीटीआई)। आज यानी कि 28 नवंबर को पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन समारोह होना है। इस समारोह में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पुरी बुधवार को अटारी-वाघा सीमा के जरिये पाकिस्तान पहुंच गए हैं। बता दें कि पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश में करतारपुर कॉरिडोर की नींव रखेंगे। पाकिस्तान ने पहले भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस समारोह के लिए आमंत्रित किया था लेकिन वह अपनी कमिटमेंट के चलते इस समारोह में शामिल नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से बादल और पूरी करतारपुर साहिब के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे।

बातचीत के लिए बंद रोकना होगा हमला
इसके साथ स्वराज ने अपने नए बयान में यह भी साफ कर दिया है कि करतारपुर कॉरिडोर का पाकिस्तान से बातचीत का कोई संबंध नहीं है। तेलांगना में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'यह अच्छी बात है कि पाकिस्तान ने भारत के हित में कोई कदम उठाया है, करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में भारत के दो मंत्री शामिल होंगे लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम पाक के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, इसका उस विषय से कोई लेना-देना नहीं है।' उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान भारत पर हमले करना बंद कर देगा तब बातचीत की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

मंगलवार को पहुंचे सिद्धू

अमृतसर के अटारी में संवाददाताओं से बात करते हुए बादल ने कहा कि पाकिस्तान के ऐतिहासिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में जाने का यह भावनात्मक पल है। पुरी ने कहा कि बहुत सम्मान की बात है कि उन्हें करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का दर्शन करने का मौका मिला। बता दें कि पाकिस्तान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह और उनके कैबिनेट सहयोगी नवजोत सिंह सिद्धू को भी आमंत्रित किया था। हालांकि, अमरिंदर सिंह ने भारत में आतंकी हमला का हवाला देते हुए इस समारोह में शामिल होने से इंकार कर दिया, जबकि सिद्धू मंगलवार को ही पाकिस्तान के लिए रवाना हो गए।

कांग्रेस के सांसद भी पहुंचे
अमृतसर से कांग्रेस के सांसद गुरजीत सिंह औजला और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के प्रमुख गोबिंद सिंह लोंगोवाल पहले से ही इस समारोह के लिए पाकिस्तान पहुंचे हैं। बता दें कि पाकिस्तान में करतारपुर साहिब पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से चार किलोमीटर दूर रवि नदी के पास स्थित है। यह 1522 में सिख गुरु द्वारा स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि पहला गुरुद्वारा, करतारपुर साहिब बनाया गया था और यहीं गुरुनानक देव की मौत हुई थी।

करतारपुर/पाक कॉरिडोर के उद्घाटन में शामिल होंगे भारत के दो मंत्री, पाकिस्तान ने किया फैसले का स्वागत

 

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