पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Kartik Purnima 2021 : कार्तिक पूर्णिमा परम पुनीत पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन सूर्य के विशाखा नक्षत्र के रहते कार्तिक पूर्णिमा तिथि कालीन 18 नवंबर 2021गुरुवार की रात्रि 25:29 से अगले दिन 19 नवंबर 2021 शुक्रवार की अर्द्धरात्रि के बाद 28:29 तक कृतिका नक्षत्र के रहने से "पद्ममक नामक" योग रहेगा।इस दिन स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:48 बजे से 10:45 बजे तक है और मध्याह्न काल 12:05 बजे से अपराह्न 1:24 बजे तक है। इस दिन अगर कृर्तिका, भरणी, रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस बार इस दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। इस दिन कृतिका नक्षत्र सूर्योदय से अगले दिन तक रहेगा। इन दिन विशेष तौर पर बनने वाला चंद्र-बृहस्पति का गजकेसरी योग का विशेष महत्व दान-पुण्य करने में रहेगा।इसी दिन चंद्र का प्रातः काल 8:15 पर मेष राशि से वृष राशि मे उच्च का होकर आना अत्यंत सौभाग्यवर्धक योग रहेगा। पूर्णिमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग रहेगा।

गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिकी पूर्णिमा कही जाती है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे "त्रिपुरी पूर्णिमा" भी कहते हैं। इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ था, इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान आदि का फल दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे "महापुनीत पर्व" बताया है। इसलिए गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है। इस दिन कृर्तिका पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो "पद्मक योग" होता है, जो पुष्कर में भी दुर्लभ है। इस दिन कृर्तिका पर चन्द्रमा और ब्रहस्पति हो तो यह "महा पूर्णिमा" कहलाती है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि कष्ट नहीं होता। इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, सम्भूति, प्रीती, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृर्तिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।

भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता

कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके वृष (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है, गाय, घोड़ा, घी आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्या दान करने से "संतान व्रत" पूर्ण होता है। कार्तिका पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण भोजन, हवन तथा दीपक जलाने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है।इस दिन सूर्य स्तोत्र, गुरु स्तोत्र का,सूर्य एवं गुरु -गायत्री मंत्र का पाठ तथा दोनों ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का यथासंभव दान,जप एवं कृतिका स्वामी(विष्वस्वामी) सूर्य के दर्शन किये जायें तो अति सुंदर रहता है।