पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Kartik Purnima 2022 : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है। यह दिन हिंदुओं के बीच एक विशेष दिन है जिसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सूर्य स्तोत्र, गुरु स्तोत्र का,सूर्य एवं गुरु -गायत्री मंत्र का पाठ तथा दोनों ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का यथासंभव दान,जप एवं सूर्य के दर्शन किये जायें तो अति सुंदर रहता है। हिंदू पुराणाें के अनुसार इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे "त्रिपुरी पूर्णिमा" भी कहते हैं। इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ था। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे "महापुनीत पर्व" बताया है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन इन चीजों का दान होता है शुभ
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली भी मनाई जाती है। देव दिवाली को आमतौर पर देवताओं की दिवाली के रूप में जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि कष्ट नहीं होता। कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके वृष (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है। गाय, घोड़ा, घी आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्या दान करने से "संतान व्रत" पूर्ण होता है। कार्तिका पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।