करवाचौथ की रात 8:13 बजे पर चंद्रोदय होगा। सुहागिने उगता हुआ चांद देखकर पूजन करें। कलश में कलावा अवश्य ही बांधें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, सतिया न बनाएं। इस दिन महिलाए सम्पूर्ण श्रंगार करती हैं। महिलाएं मेहंदी भी जरूर लगाए। गुरूवार को करवाचौथ होने के कारण इस बार का करवाचौथ अत्यंत ही फलदाई है। इसलिए महिलाएं विधि-विधान से पूजा करें। कार्तिक का महीना शिव जी को भी अत्यंत ही प्रिय है। गुरुवार को चंद्रमा के दर्शन से लक्ष्मी में वृद्धि होगी व आंखों की रोशनी बढ़ेगी।

व्रती ध्यान दें

व्रत से एक दिन पूर्व अर्थात वुधवार को नींबू पानी पीकर अगले दिन निर्जला व्रत रखें। इससे व्रत के दौरान प्यास का अहसास नहीं होगा। गुरुवार के दिन सूर्योदय के स्नान के बाद पैरों में महावर लगाएं। महावर लगे पैरों को पूजा के करने के पश्चात काफी देर बाद ही धुलें। व्रत से पूर्व एक दिन पहले चाय न पियें। यदि चाय पीनी ही है तो नींबू की पिएं। इससे शरीर में पूरे दिन ग्लूकोस बरकरार रहेगा।

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चंद्रमा से करें अराधना

वामन पुराण के अनुसार चंद्रदेव से यह अराधना करें कि मन के स्वामी हमारे मन को स्थिरता प्रदान करें। हमारे दाम्पत्य जीवन में हमेशा सुख-समृद्धी बनी रहे और इस रिश्ते में कभी भी भय उत्पन्न न हो। हमारा परस्पर प्रेम व विश्वास हमेशा अडिग रहे। यूं तो हर मास गणेश जी की चतुर्थी को चंद्रमा का व्रत किया जाता है किंतु करवचौथ का अधिक महत्व है। सौभाग्यवती स्त्रियां अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत रख करके व्रत का पारण पति के हाथों से करती हैं। इस दिन चंद्रमा के दर्शन होंगे और सुहागिने पूजा करेंगी। इस व्रत से शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करें। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रख कर सास तथा सास के समक्ष किसी सुहागिन के पांव छू करके सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

-पंडित दीपक पांडेय

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