कानपुर (इंटरनेट-डेस्क)। Karwa Chauth 2020 करवा चौथ व्रत का महात्म- करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर त्रिलोकी नाथ के मुताबिक यह व्रत सुहागिनी स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए करती है। इसमें सुबह 4 बजे से शाम जब तक चन्द्रोदय न हो जाये तबतक किया जाता है। चन्द्रोदय के बाद पति के हाथों से पत्नी निवाला खाकर अपना उपवास खोलती है। दिन-भर पूजा, भजन, सत्संग, प्रार्थना, पति की लम्बी आयु की कामना एवं करवा चौथ व्रत की कथा सुनी जाती है। इस व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही माता पार्वती एवं गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान शिव संहारक देवता के रुप में माने जाते है। महामृत्युन्ज्य की पूजा में भी शिव जी की आराधना होती है।

दिल्ली में करवा चाैथ के लिए सामान खरीदती महिला। फोटो : पीटीआई

Karwa Chauth 2020 Shubh Muhurat (करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त)

4 नवम्बर 2020 को 3 बजकर 24 मिनट से करवाचौथ व्रत का शुभ मूहूर्त प्रारम्भ हो जाता है। शाम 5 बजकर 29 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट के बीच पूजा का विशेष महत्व है। चन्द्रोदयः- 8 बजकर 16 मिनट पर चन्द्रमा का उदय होगा। इसी समय चन्द्रमा का दर्शन करके पति के हाथों निवाला करके पति के चरणों को स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए। चन्द्रमा के सामने यह प्रक्रिया पूरी होने से चन्द्र देव का भी आशीर्वाद पति पत्नी को मिलता है। जिससे दोनों के बीच आपसी लगाव में वृद्धि होती है और पत्नी के द्वारा पति के लिए की गई दीर्घायु की कामना भी पूर्ण होती है और शिव जी का आशीर्वाद भी निरन्तर बना रहता है। जिससे दोनों का जीवन सुखमय होता है और पति लम्बी आयु को प्राप्त होता है।

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जम्मू में करवा चाैथ के लिए तैयारी करती महिलाएं। फोटो : एपी

Karwa Chauth 2020 Vrat Vidhi (करवा चौथ व्रत विधि)

सुहागिनी विवाहोपरान्त 12 या 16 वर्षों तक निरन्तर करवाचौथ व्रत करने का विशेष महात्म है। सुहागिनी चाहें तो आजीवन अर्थात जबतक पति का साथ है उपवास एवं व्रत कर सकती है। इस दिन शिव पार्वती गणेश एवं कार्तिकेय की पूजा से सुहागिनी को विशेष आशीर्वाद मिलता है। इससे उसका पति लम्बी आयु या दार्घायु प्राप्त करता है। इससे अच्छा पति के कल्याण के लिए कोई दूसरा उपवास या व्रत नहीं है भगवान शिव और पार्वती दोनों अर्धनारीश्वर के रुप में सुहागिनी को अपने आशीर्वादरुपी अमृत वचन से शुभ स्थिति बनाये रखते है। गणेश जी शुभता को निरन्तर आगे बढ़ाते रहते है। इससे पति पत्नी के बीच अनुराग बना रहता है। वहीं जब पति पत्नी के व्रत को पूरा होने पर उसे अपने हाथ से अन्न ग्रहण कराता है तो पत्नी को खुश करने के लिए उसकी इच्छा के अनुसार कोई प्रिय वस्तु भी उपहार में देता है। इससे पत्नी के आशीर्वादरुपी मनोकामना की अमृत वर्षा पति पर बनी रहती है। पति-पत्नी के बीच अनुराग समर्पण त्याग जीवनभर एक दूसरे के प्रति ईमानदार बने रहने की बलवती इच्छा की वृद्धि होती है। दोनों जीवन को उन्नतिशील शान्ति प्रिय एवं अनुरागमय बनाने में सफल होते है।

पति की आयु को बढ़ा देते हैं शिव जी
भगवान शिव को व्रत एवं पूजा विधान से प्रसन्न किया जाये तो भगवान शिव की कृपा से सुहगिनी महिलाओं के पति की आयु बढ़ जाती है। अल्पायु योग होने पर भी शिव जी यदि प्रसन्न हो गये तो संहार नहीं करते है। सुहागिनी के सुहाग की रक्षा करते हुए सुहागिनी के पति की आयु को बढ़ा देते है जिससे पति की लम्बी आयु में वृद्धि होती है। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा का विधान है माता पार्वती की कृपा से पति पत्नी के बीच अटूट सम्बन्ध या दोनों में अतिशय अनुराग की वृद्धि होगी। मां पार्वती का आशीर्वाद पति-पत्नी के लिए बना रहता है। इसमें गणेश जी की पूजा का भी विधान है। गणेश जी शुभता के प्रतीक है और अशुभ परिस्थितियों को टालने वाले देवता है। पति-पत्नी के बीच सदैव शुभ स्थिति बनाये रखने वाले देवता है। सुहागिनियों के लिए निरन्तर शुभ परिस्थितियों की वर्षा करते है जिससे दोनों का जीवन पुष्पित पल्लवित होता है।