पं. राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Karwa Chauth 2022 : करवाचौथ व्रत स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है, यदि दो दिन चन्द्रोदय व्यापिनी या दोनों ही दिन न हो तो पहले दिन वाली चन्द्रोदय ही लेनी चाहिए। 13 अक्टूबर 2022,गुरुवार को चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि एवं सांय 6:41 बज़े के बाद रोहिणी नक्षत्र में वृष राशि में चन्द्रोदय होगा,जोकि स्त्रियों के लिए खास शुभ रहेगा। यूं तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चन्द्रमा का व्रत किया जाता है, परन्तु इसमें सर्वाधिक महत्व है - करवाचौथ का। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं मंगल कामनाओं के लिए व्रत करती है। यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला होता है।

चौथ का व्रत चौथ से ही प्रारम्भ किया जाता

भारतीय परम्परानुसार करवाचौथ का त्यौहार उस पवित्र बंधन का सूचक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। नवविवाहिताएं विवाह के पहले वर्ष से ही ये व्रत प्रारम्भ करती हैं। चौथ का व्रत चौथ से ही प्रारम्भ किया जाता है। इसके बाद ही अन्य महीनों के व्रत करने की परम्परा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को चन्द्र देवता की पूजा के साथ-साथ शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।

द्रोपदी ने भी करवा चाैथ का व्रत का किया था

शिव-पार्वती पूजा का विधान इसलिए माना गया है कि जिस प्रकार शैल पुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखण्ड सौभाग्य प्राप्त किया है,वैसा ही उन्हें भी प्राप्त हों, वैसे भी गौरी का पूजन कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष महात्मय माना जाता है। इस दिन कुंवारी कन्यायें गौरा देवी का पूजन करती हैं। महाभारत काल में पाण्डवों की रक्षा हेतु द्रोपदी ने यह व्रत किया था।

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