चमत्कारिक रहस्यों से भरी है काशी। यहां आपको हर मर्ज की दवा मिल जाएगी। यह इस शहर का तिलस्म ही है। सवाल इतना सा है कि आपकी समस्या क्या है? यहां उसका निदान हाजिर है। देश की अदालतों में तारीख मिलना इस देश की रवायत है और कचहरी के चक्कर काटते रहना इस मुल्क के गरीब आदमी का प्रारब्ध। इससे आपको कोई निजात तो नहीं दिला सकता, लेकिन बनारस में है इसका निदान। गंगा किनारे सिंधिया घाट के ठीक ऊपर संकठा मंदिर के पीछे एक मोहल्ला है पटनी टोला। इस पटनी टोला के मकान नम्बर सीके 2/38 में विराजती हैं मां पीताम्बरा। मां के मंदिर के प्रताप से मोहल्ले को सिद्धेश्वरी के नाम से भी पुकारा जाता है। कहते हैं कि माता पीताम्बरा के दर्शन मात्र से कोर्ट कचहरी के चक्कर और कानूनी दांव पेंच से मुक्ति मिल जाती है। केस कैसा भी हो अगर कोई जेल में बंद हो तो माता अपने प्रताप से उसे मुक्त करा देतीं हैं। इन सबके लिए जरूरी नहीं है कि वो शख्स खुद ही हाजिरी लगाये। अगर अच्छे दिल से कोई किसी के लिए भी हाजिरी लगाए तो माता पीताम्बरा उसका मनोरथ पूर्ण करती हैं।
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मां पीताम्बरा माता बगलामुखी का ही एक रूप हैं और काफी उग्र मानी जाती हैं। वो तंत्र की देवी हैं। पूरे देश में इनके मंदिर गिनती के हैं। इनमें से एक है काशी का मंदिर। दस महाविद्याओं में माता पीताम्बरा का आठवां स्थान है। तंत्र की आराध्य देवी होने के कारण इनकी साधना काफी कठिन है। पटनी टोला के मंदिर में आज भी माता के विग्रह को स्पर्श करने की इजाजत नहीं है। काशी में माता पीताम्बरा के मंदिर की स्थापना आज से कई सौ साल पहले उस जमाने के कथा वाचक पं. रमानाथ व्यास ने अपने गुरू पं. गौरी शंकर पाठक के आदेश पर किया था। उस जमाने में काशी के विद्वान पं. पाठक जी को गुरू के रूप में पूजते थे। पं. रमानाथ व्यास तंत्र विद्या के पारंगत थे। व्यास जी की विद्वता और तपोबल को देख कर ही पाठक जी ने माता पीताम्बरा के विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा का आदेश दिया था।
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गुरुवार के दिन मां पीताम्बरा के दर्शन पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। उन्हें पीला फूल और फल तो चढ़ाया जाता है साथ ही भोग भी पीले मिष्ठान्न का लगाया जाता है। जिस किसी की कुंडली में बृहस्पति खराब चल रहा हो अगर वो मां पीताम्बरा का दर्शन करे तो उसका ग्रह दोष कट जाता है। माता पीताम्बरा सिर्फ कोर्ट कचहरी से ही नहीं बल्िक दुश्मनों द्वारा किये गये तंत्र माध्यम से मारण, सम्मोहन और उच्चाटन से भी निजात दिलाती हैं। इतना ही नहीं माता अपने दर्शन करने वालों को असाध्य रोगों से निजात भी दिलाती हैं।
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