वाराणसी (ब्यूरो)। जानकारों का कहना है कि मंदिर से भगवान की प्रतिमा को शायद खंडित कर दिया गया होगा। यह मंदिर कितने साल पुराने हैं, अभी इसका भी जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। मंदिर की भव्यता को देख अनुमान लगाया जा रहा है कि ये सभी 11वीं-12वीं शताब्दी के होंगे। अब तक कारिडोर परिसर से छोटे-बड़े मिलाकर 66 मंदिर मिल चुके हैं। सभी मंदिरों को संरक्षित करने की योजना बनाई गई है, जिसमें 30 मंदिरों को भव्य रूप दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन का कहना है कि जिन मंदिरों में विग्रह नहीं मिले हैं, उनमें भी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

दंतपाणि भैरव और शंकराचार्य की समाधि भी मिली

कारमाइकल लाइब्रेरी के धवस्तीकरण में मिले दो मंदिर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसमें एक दंतपाणि भैरव का मंदिर है और दूसरा शंकराचार्य की समाधि बताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दंतपाणि भैरव का मंदिर कई शताब्दी पुराना लग रहा है। हालांकि प्रथम दृष्टया लोगों का कहना है कि यह विश्वनाथ मंदिर के निर्माण से भी पुराना है। वहीं शंकराचार्य की समाधि को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि इसका इतिहास कई वर्ष पुराना निकलेगा। इस पर मंदिर प्रशासन का कहना है कि दोनों मंदिरों को सुरक्षित तरीके से संरक्षित कर दिया गया है। दोनों मंदिर किस समय के हैं यह तो पुरातत्व विभाग ही बता पाएगा।

शिवलिंग को लेकर हुआ था विवाद

बात 2018 की है। नारिया स्थित रोहित नगर कालोनी के पास विश्वनाथ कॉरिडोर का मलबा फेंका गया था। इस मलबे में बड़ी संख्या में शिवलिंग थे, जिसे देख बड़ा बवाल हुआ था। स्वामी अविमुक्तेशवरा नन्द सरस्वती और कांग्रेस ने मंदिर प्रशासन पर आस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था। काफी हो-हल्ले के बाद जिला प्रशासन की सख्ती और स्थिति स्पष्ट करने पर मामला शांत हुआ था।

अब तक मिले हैं 66 छोटे-बड़े मंदिर

मंदिर प्रशासन के अनुसार विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए अधिकृत मकानों को तोड़ा जा रहा है। इसके अलावा निर्माण कार्य के लिए खुदाई भी चल रही है। इस दौरान ज्ञानवापी से लेकर मर्णिकणिका घाट तक करीब 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में अब तक छोटे-बड़े कुल 66 मंदिर मिले हैं, जिसे मंदिर प्रशासन ने संरक्षित करने की योजना बनाई है। 30 मंदिरों को गुलाबी पत्थरों से भव्य रूप भी दिया जाएगा।

तथ्य एक नजर में

- 8 मार्च 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास किया था

- 339 करोड़ रुपये खर्च होंगे विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना पर

- 50 हजार 261 वर्ग मीटर के क्षेत्र में चल रहा है कॉरिडोर का निर्माण कार्य

- 1780 में इंदौर की देवी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था विश्वनाथ मंदिर

- 240 साल बाद हो रहा विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य

32 फीसदी हो चुका है काम

प्रोजेक्ट मैनेजर संजय घोरे के अनुसार विश्वनाथ कॉरिडोर धाम धीरे-धीरे आकार लेने लगा है। अब तक 32 फीसदी काम हो चुका है। शासन ने अक्टूबर 2021 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य दिया है, लेकिन कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी ने इसे अगस्त 2021 में ही पूरा करने की बात कही है। इसके लिए मजूदरों की संख्या बढ़ाकर निर्माण कार्य में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है।

तीन चरण में हो रहा काम

कॉरिडोर का काम 2 कार्यदायी संस्थायें कर रही हैं। इसमें एक अहमदाबाद की कंपनी पीएसपी कंस्ट्रक्शन है और दूसरी लोक निर्माण विभाग। धाम को बनाने का काम तीन चरण में किया जा रहा है। पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण में नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकॢणका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा विकसित होगा।

घरों में छुपा दिये थे मंदिर

इतिहासकारों का कहना है कि अंतिम मुगल शासक औरंगजेब के समय हिंदू तीर्थ स्थलों को बड़ी संख्या में खंडित किया गया था। कई मंदिरों से प्रतिमाओं तक को तोड़कर हटा दिया गया था। काशी में लोगों ने मंदिर, शिवलिंग और भगवान की प्रतिमाओं को बचाने के लिए अपने घरों में छुपा दिया था। अब जब ये मकान टूट रहे हैं तो वही पुरातन मंदिर और शिवलिंग सामने आ रहे हैं।

'कारमाइकल लाइब्रेरी वाले हिस्से में जो मंदिर है, इनमें तीन मंदिरों में विग्रह नहीं मिलने की जानकारी है। इन मंदिरों में विग्रह स्थापित कराया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने सभी 66 मंदिरों को संरक्षित करने का फैसला लिया है।'

- सुनील वर्मा, सीईओ, विश्वनाथ मंदिर प्रशासन

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