- राजा को मां कात्यायनी ने सपने में दर्शन देकर कहा था मंदिर बनवाने को

- मंदिर का निर्माण शुरू होते ही शत्रु सेना लौट गई थी वापस

 

 

 

Parikshitgarh : कस्बा स्थित प्राचीन कात्यायनी देवी के मंदिर में मां के दर्शन और अभिषेक मात्र से श्रद्धालुओं के कष्ट तो दूर हो जाते हैं। साथ ही उनके जीवन में सुख शांति का वास होने लगता है। आस्था के केंद्र बने इस मंदिर में साल में दो बार नवरात्र महोत्सव पर सप्तमी तिथि को लगने वाले मेले में दूर दराज से हजारों श्रद्धालु आकर मत्था टेक मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाते हैं।

 

सपने में दिया दर्शन

कस्बे में दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी मंदिर के बारे में मान्यता है कि होली की रात में राजा नैन सिंह को मां ने सपने में आकर बताया कि आज से तीन दिन बाद शत्रु तेरे राज्य पर आक्रमण करने आ रहे हैं। अगर अपने राज्य की रक्षा चाहता है तो महल के पूर्व दिशा में मेरा मंदिर बनवाने का प्रण करेगा तो शत्रु पराजित होगा।

 

खुदाई में मिली प्राचीन शिला

अगली सुबह ही राजा ने अपने राज पुरोहित पंडित शादीराम को सपने के बारे में बताया। पंडित के कहने पर राजा ने मां के बताए स्थान की खुदाई कराई तो उसमें प्राचीन शिला व अनेक वस्तु मिली। राजा ने मां के मंदिर के निर्माण का प्रण लिया। राजा को गुप्तचरों से सूचना मिली कि दुश्मनों ने राज्य के पश्चिम उत्तरी द्वार को घेर लिया है। इसी बीच राजा ने मंदिर का निर्माण संवत क्8ब्भ् में शुरू कराया जो क्8ब्म् में पूरा हुआ। निर्माण शुरू होने के अगले दिन शत्रु सेना वापस लौट गई थी।

 

कृष्ण की आराध्य हैं देवी कात्यायनी

बताते हैं कि भगवान कृष्ण की आराध्य देवी मां कात्यायनी हैं। मंदिर के गर्भ गृह पर सूरज की पहली किरण पड़ती है। मंदिर में एक प्राचीन गुफा है। मान्यता है कि विवाह संस्कार में मंदिर की परिक्रमा का विशेष महत्व है। नवरात्र के छठे दिन मां का अभिषेक करने से मनुष्य के कष्ट दूर होते हैं।