जर्मन टेक्नोलॉजी से बनाई गईं पांच इग्लू हट्स
जल प्रलय से केदारनाथ मंदिर को बचाने के लिए बनाई गई विशालकाय दीवार हो या यात्रियों के रुकने के लिए बनाई गईं अनोखी Igloo huts सभी में इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। दुनिया के सबसे बर्फीले इलाकों में रहने वाले एस्किमो लोगों के पारंपरिक घरों को इग्लू कहा जाता है। उसी के नाम पर केदारघाटी की इन खास हट्स को इग्लू पुकारा जा रहा है। केदारनाथ मंदिर के पास ही वैली में पांच इग्लू हट सीमेंट निर्माता कंपनी अल्ट्राटैक ने तैयार कर बद्री- केदार मंदिर समिति को सौंपी हैं। खास तरह के बिल्डिंग मटीरियल से इन इग्लू हट्स को U शेप में बनाया गया है। दावा किया गया है कि इस तकनीक से तैयार ये इग्लू हट्स भूकंप, भयानक बर्फबारी, बाढ़ और ऐसी ही किसी भी आपदा के दौरान यहां रहने वाले तीर्थयात्रियों को सुरक्षित रखेंगी। आने वाले समय में इन इग्लू हट्स की संख्या जरूरत के हिसाब से बढ़ाई जाएगी, ताकि अधिक से अधिक यात्री इनमें सुरक्षित रह सकें।
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अभी ट्रायल बेसिस पर यूज शुरु
केदार वैली में आई आपदा के बाद से यहां पुनर्निर्माण के लिए तमाम वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है। मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा बताते हैं कि इस साल सीमेंट निर्माता कंपनी ने जर्मन तकनीक से फिलहाल पांच इग्लू हट्स का निर्माण किया है, जिनका ट्रायल बेसिस पर उपयोग किया जा रहा है। इन पांच हट्स में से एक में फिलहाल केदारनाथ मंदिर के पुजारी रह रहे हैं।
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क्या है खासियत
इन हट्स की खासियत यह है कि इन पर जबरदस्त बर्फबारी का भी कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा। इनकी छत से बर्फ आसानी से खिसक जाएगी और बर्फ का जमाव नहीं होगा। यही नहीं ये इग्लू हट्स आपदा और भूकंप के लिहाज से भी सुरक्षित हैं। ये सारी इग्लू हट्स जर्मन टेक्नोलॉजी से बनी हैं और इनको यू- शेप में बनाया गया है। केदारनाथ मंदिर के कपाट सर्दियों के लिए बंद किए जा चुके हैं। इसलिए अगले यात्रा सीजन में ही यह तय हो पाएगा कि ये इग्लू हट्स कितनी सफल हैं। उसके बाद ही बद्री'केदार मंदिर कमेटी इनके विस्तार की परमीशन देगी।
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