- इलाज की बजाए मच्छरों को रोकने पर हो जोर

- बारिश रुकने पर बढ़ेगा मच्छरों का प्रकोप

LUCKNOW: अभी लगातार हर दूसरे दिन कभी कम तो कभी अधिक बारिश हो रही है। उस पर भी डेंगू मलेरिया का प्रकोप बढ़ा हुआ है। सितंबर-अक्टूबर में डेंगू का खतरा और अधिक बढ़ सकता है क्योंकि उस समय बारिश बंद होगी और जलभराव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ेगा। एक्सप‌र्ट्स का मानना है कि समय से मच्छरों की रोकथाम के उपाय न किए गए तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।

न जमा होने दें पानी

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि डेंगू का मच्छर बेसिकली साफ पानी में पैदा होता है। वह भी स्थिर पानी में। ऐसे में बारिश के बाद गड्ढों, छतों, खुले बर्तनों, कूलर और अन्य स्थानों में पानी रुकने से इसका प्रकोप बढ़ सकता है। हर साल बारिश के बाद ही इसकी दिक्कत बढ़ती है। ऐसे में अगले माह से दिक्कत और बढ़ सकती है। इसलिए घर में कूलर, गमले, घर की छतों पर अधिक दिनों तक पानी का जमाव न होने दें। कूलर का पानी नियमित रूप से बदलते रहें।

इलाज से ज्यादा सफाई पर दें ध्यान

एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। टीएन ढोल ने बताया कि रुके हुए पानी में न्यूट्रीशन ज्यादा होता है और इसमें मच्छरों की पैदावार भी बढ़ती है। इसके अलावा बारिश के बाद ऐसे वायरसों का प्रकोप भी बढ़ता है, जो हवा के द्वारा ही फैलते हैं। इसलिए सरकार और आम लोगों का भी जोर सीधे इलाज की बजाए बीमारी बचाने से होना चाहिए। रोड के किनारे फैला कूड़ा सड़ता है और ड्रेनेज में फंसता है। यह मच्छरों के बढ़ने के लिए उपयुक्त है। अगर सफाई नहीं करेंगे तो समस्या बढ़ती रहेगी।

डेंगू सामान्य वायरल जैसा

हालांकि डॉक्टर्स का मानना है कि डेंगू होने से घबराने की जरूरत नहीं। यह सामान्य वायरल की तरह है। सिर्फ एक फीसदी केसेज में ही डेंगू हेमेरेजिक फीवर होने पर मरीज की तबियत बिगड़ जाती है। जबकि अधिकांश केस में सामान्य इलाज से मरीज ठीक हो जाता है।

दिन में बचे मच्छरों से

डेंगू फैलाने वाला मच्छर एडीज एजिप्टाई दिन में ही काटता है। डेंगू पीडि़त व्यक्ति को जब यह मच्छर काटता है तो वायरस मच्छर में चला जाता है और जब यही मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे डेंगू होने की आशंका रहती है। डॉक्टर्स के अनुसार, डेंगू से बचने के लिए जरूरी है कि घर हो या फिर ऑफिस और स्कूल। हमेशा फुल बांह के ही कपड़े पहने।

एंटीबायोटिक का न करें प्रयोग

डॉक्टर्स के मुताबिक, वायरल फीवर या डेंगू और मलेरिया में एंटीबॉयटिक्स दवाओं की कोई भूमिका नहीं होती। बावजूद इसके अगर वायरल के अलावा अलग से कोई वैक्टीरियल इंफेक्शन हो तब ही एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। अमूमन वाइरल फीवर 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। इसके बावजूद इस रोग का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। जैसे बुखार अगर ज्यादा बढ़ रहा है तो इस स्थिति में पैरासीटामॉल की टैबलेट्स दी जाती हैं।

डेंगू के लक्षण

- अचानक तेज बुखार आना, लंबे समय तक फीवर रहना-करीब सात दिन,

- सिर दर्द, मसल्स व बॉडी पेन, हाथ पैरों में रैशेज पड़ना, जी मिचलाना, उल्टी आना, भूख न लगना, आंखों में दर्द रहना आदि लक्षण हैं।

कई इलाकों में किया छिड़काव

सीएमओ डॉ। एसएनएस यादव ने बताया कि शनिवार को चिनहट ब्लाक के खरगापुर मकदूमपुर में स्वास्थ्य शिविर लगाकर बुखार के रोगियों एवं अन्य रोगियों की जांच की गयी और लोगों को डेंगू व अन्य संक्रामक रोगों से बचाव की जानकारी दी गयी। नगर मलेरिया इकाई द्वारा मकदूमपुर, खरगापुर डीआरवी इंटर कॉलेज, गोमतीनगर सुभानी खेड़ा, घोसियाना, आर्दशनगर, शिवानी बिहार, राजीव नगर, आदिल नगर, गन्ने का पुरवा, कल्यानपुर परिश्चम, गायत्रीपुरम, शीशबाग, अतरौली, गौरीवार्ड, सिविल हॉस्पिटल, दरोगा खेड़ा, गौरी, जयराजपुरी, हनुमानपुरी, नवीन गौरी, सुभानी खेड़ा, घोसियाना, कुम्हार मण्डी आदि क्षेत्रों में लार्वा रोधी छिड़काव किया गया।