मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच ताज़ा तनाव दिल्ली के लिए भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल बिल को लेकर है.

अरविंद केजरीवाल इसी महीने ही चार दिन का विशेष सत्र बुलाकर जनलोकपाल विधेयक दिल्ली विधानसभा में लाना चाहते हैं जबकि उपराज्यपाल ने जनलोकपाल के मुद्दे पर क़ानूनी सलाह माँगी हैं.

टीवी रिपोर्टों के मुताबिक भारत के महाधिवक्ता मोहन परासरण ने कहा है कि चूँकि लोकपाल को केंद्र सरकार का भी फंड प्राप्त होगा इसलिए दिल्ली विधानसभा में इस पर बहस और मतदान से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंज़ूरी की ज़रूरत है.

सलाह

जनलोकपाल पर केजरीवाल ने नजीब जंग को घेराकेजरीवाल ने नजीब जंग से कहा है कि कांग्रेस के दबाव में काम न करें.

उपराज्यपाल को लिखे अपने पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि उन्होंने इस मामले में चार संविधान विशेषज्ञों की राय ली है और उनका कहना है कि ऐसा नहीं है.

अपने पत्र में केजरीवाल ने स्पष्ट कहा है कि अगर आपको मेरी कुछ बातें कड़वी लगें तो मैं पहले ही माफ़ी माँग लेता हूँ.

केजरीवाल ने पत्र में लिखा, "मैं जानता हूं कि आपके ऊपर कांग्रेस और गृहमंत्रालय का दबाव है. वे आप पर दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल पेश न होने देने का दबाव डालेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि यदि ये बिल पास हो गया तो उनमें से कई लोग जेल चले जाएंगे."

केजरीवाल ने लिखा, "मुझे मालूम है कि वे आपके दफ़्तर के ज़रिए मेरी सरकार को बदनाम करने के लिए चुन-चुन कर ग़लत तरीके से बाते लीक करवाएंगे."

नज़ीब ज़ंग को सलाह देते हुए अरविंद केजरीवाल ने लिखा, "आपने संविधान की वफ़ादारी की क़सम खाई है, किसी पार्टी और गृहमंत्रालय की वफ़ादारी की नहीं. कृपया संविधान को मरने मत दीजिए."

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