-सेफ्टी किट पहनाए बगैर इम्प्लाइज से बनवाए जा रहे हाईटेंशन लाइनों के फॉल्ट, ब्रेकडाउन और कराए जा रहे डिस्कनेक्शन

-दो साल में एक दर्जन से अधिक इम्प्लाइज की करंट में आकर जा चुकी है जान

-100 सेफ्टी किट का अता-पता नहीं, सेफ्टी किट की संख्या से तीन गुना ज्यादा हैं लाइनमैन

KANPUR : दर्जनों हादसों के बाद भी न तो केस्को अफसरों की नींद टूट रही और न ही कॉन्ट्रैक्टर्स की। अपने फायदे के लिए वे केस्को इम्प्लाइज की जान खतरे में डाले हुए हैं। रेवेंयू सहित अन्य टारगेट्स को पूरा करने के लिए बगैर सेफ्टी किट के ही इम्प्लाइज से एलटी लाइनों में ही नहीं 13-13 मीटर ऊंचाई पर स्थित हाईटेंशन लाइनों तक में काम कराया जा रहा है। पर उन्हें चिन्ता नहीं कि खतरों से खेल इम्प्लाई ग्लब्स, शूज, हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट पहने हुए हैं या नहीं। इम्प्लाइज से रोजाना फॉल्ट, ब्रेकडाउन और डिस्कनेक्शंस आदि काम कराया जा रहा है। ये लापरवाही कभी भी इम्प्लाइज के लिए साबित हो सकती है। सबकुछ खुली आंखों से देखने के बावजूद अफसर और कॉन्ट्रैक्टर आंखें बन्द किए हुए हैं।

कहां गई 100 सेफ्टी किट?

फूलबाग, रतनपुर, कोपरगंज आलूमंडी, बिजलीघर परेड सहित कई डिविजंस में फॉल्ट, ब्रेकडाउन बनाते समय केस्को के इम्प्लाइज की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकतर इम्प्लाई प्राइवेट गैंग के थे। मौत की मुख्य वजह करंट तो थी ही, साथ में कई मामलों में मौत का कारण करंट लगने के बाद ऊंचाई से गिरना भी सामने आया था। हादसों को देखते हुए पिछले साल केस्को अफसरों ने 100 सेफ्टी किट मंगाई थी। जिसमें ग्लब्स, शूज, हेलमेट, ड्रेस, सेफ्टी बेल्ट आदि थे। जिससे कि फॉल्ट, ब्रेकडाउन या डिस्कनेक्शन आदि काम कर रहे इम्प्लाइज को करंट लगने का खतरा न रहे।

ताकि न हों हादसे का शिकार

पिछले साल 21 जुलाई को बिजलीघर परेड में हाईटेक लैब के उद्घाटन के दौरान तत्कालीन मिनिस्टर एनर्जी स्टेट मिनिस्टर यासर शाह के सामने सेफ्टी किट की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। तब ऐसी लगभग 150 सेफ्टी किट खरीदने का दावा किया गया है। शायद ये सेफ्टी किट्स शोपीस बनकर रह गई हैं। इलेक्ट्रिसिटी लाइनों के फॉल्ट्स, ब्रेकडाउन बनाते समय न तो इम्प्लाई ग्लब्स पहनने नजर आते हैं और न ही हेलमेट, शूज या ड्रेस पहने हुए होते हैं। यहां तक सेफ्टी बेल्ट तक नहीं लगाए होते हैं। ऐसा नहीं है कि इससे डिविजन, सर्किल या मुख्यालय के अफसर वाकिफ नहीं हैं।

शटडाउन के बावजूद दौड़ता है करंट

पॉवर शटडाउन में लापरवाही की वजह से रतनपुर, फूलबाग, कोपरगंज आलूमंडी डिविजन में हादसे हुए थे। तब तत्कालीन इंजीनियर्स ने शटडाउन होने पर करंट बैक फ्लो होने की सफाई दी थी। यानि कि पॉवर शटडाउन के बावजूद लाइनों में करंट दौड़ा करता है। ऐसी स्थिति 13 मीटर हाइट में दौड़ रही हाईटेंशन लाइन के फॉल्ट को बनाते समय सेफ्टी किट पहनना बहुत जरूरी है। क्योंकि कंरट लगने पर फॉल्ट बनाने वाला इम्प्लाई 13 मीटर ऊंचाई से नीचे गिर जाता है। जो कि मौत की वजह साबित होता है।

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हो रही जबरदस्त लापरवाही

इन दिनों केस्को बिजली चोरी, लाइन लॉस रोकने के लिए तारा ड्राइव, डिफॉल्टर्स के डिस्कनेक्शन आदि अभियान चला रहा है। डिस्कनेक्शन के लिए 36 प्राइवेट गैंग लगी हुई हैं। इसी तरह तारा अभियान के अ‌र्न्तगत 108 प्राइवेट गैंग काम कर रही हैं। जबकि पहले से फॉल्ट, ब्रेकडाउन के लिए 120 के लगभग प्राइवेट गैंग हैं। हर प्राइवेट गैंग में 3 इम्प्लाई होते हैं, जिसमें 1 लाइन मैन दो इम्प्लाई होते हैं। यानि कि केस्को में इस समय केवल 264 तो प्राइवेट गैंग काम कर रही हैं। इसके अलावा हर सबस्टेशन में केस्को के लाइनमैन व टीम अलग काम कर रहे हैं। यानि कि लाइनमैन की संख्या के आगे सेफ्टी किट एक तिहाई भी नहीं हैं।

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सेफ्टी किट पहन कर ही फॉल्ट, ब्रेकडाउन बनाने चाहिए। सभी लाइनमैन के लिए किट दी गई हैं। लाइनमैन ही यूज नहीं कर रहे होंगे।

-एके आनन्द, केस्को अफसर

सेफ्टी किट

-रबर शूज, ग्लब्स, हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, ड्रेस आदि

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प्राइवेट गैंग की संख्या

ब्रेकडाउन, फॉल्ट के लिए- 120 गैंग

डिस्कनेक्शन के लिए -36 गैंग

तारा अभियान में लगी हैं- 108 गैंग

(एक गैंग में 1 लाइनमैन सहित 3 इम्प्लाई)

केस्को के लाइनमैन की संख्या- 179

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करंट की चपेट आकर हुए हादसे

-कल्याणपुर, बिजलीघर परेड, कोपरगंज आलूमंडी, फूलबाग, देहली सुजानपुर, शास्त्री नगर, रतनपुर आदि