सिराथू तहसील में चाय की दुकान चलाते थे केशव प्रसाद मौर्य

विधायक, सांसद के बाद अब प्रदेश भाजपा के बने सारथी

संघी, कुशल वक्ता होने का मिला लाभ, राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी बढ़ चढ़कर भागीदारी

ALLAHABAD: देश की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी के बाद केशव प्रसाद मौर्य ऐसी दूसरी शख्सियत हैं जिन्होंने चाय की केतली से राजनीतिक फलक तक का सफर तय किया है। कौशांबी के सिराथू तहसील में चाय की दुकान लगाकर जीवन यापन करने वाले केशव अपनी प्रतिभा के दम पर आज यूपी भाजपा के खेवनहार बन गए हैं। भाजपा के थिंक टैंक अमित शाह ने यूपी की कमान फूलपुर सांसद केशव प्रसाद मौर्य के हाथ में सौंपकर सूबे की राजनीति में भूचाल ला दिया। उधर पार्टी हाईकमान के इस फैसले पर इलाहाबाद में खुशी की लहर दौड़ गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस उपलब्धि पर जमकर खुशियां मनाई। पटाखे फोड़े और मिठाईयां बांटीं। एक के बाद एक सफलता की सीढि़या चढ़ रहे केशव प्रसाद के लिए यह सफलता किसी चमत्कार से कम नहीं कही जा सकती।

भाजपा के पंच पर सभी ढेर

शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक साथ पांच प्रदेशों में पार्टी अध्यक्षों की नियुक्ति के पंच से विरोधियों को ढेर करने की कोशिश की। उप्र में केशव प्रसाद मौर्य, कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, पंजाब में केंद्रीय राज्य मंत्री पंजाब, तेलंगाना में विधायक डॉ। के लक्ष्मण और अरुणाचल प्रदेश में पूर्व सांसद तापिर गांव का नाम शामिल है। यह जानकारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी किए गए पत्र के जरिए दी गई है।

मोदी की तरह केशव भी बेचते थे चाय

सिराथू के कसया गांव के किसान श्याम लाल के तीन बेटों में दूसरे नंबर के केशव प्रसाद ने स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की है। वह सिराथू रेलवे स्टेशन समीप चाय की दुकान चलाते थे। उनकी मां धनपति देवी और पत्‍‌नी का नाम राजकुमारी है। उनके पास एक समाचार पत्र की एजेंसी भी थी। राजनीतिक सक्रियता के चलते वर्ष 1987 में वह विहिप के जिला संगठन मंत्री और कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर उन्हें वर्ष 1999 में अयोध्या का दिल्ली प्रांत का संगठन मंत्री मनोनीत किया गया।

और बन गए विधायक

वर्ष 2005 में भाजपा ने इलाहाबाद शहर पश्चिमी से केशव प्रसाद को टिकट दिया गया लेकिन वह हार गए। इसी साल बसपा विधायक राजूपाल की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में भी केशव को हार का मुह देखना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2012 में हुए विधान सभा चुनाव में सपा की लहर के बावजूद सिराथू विधानसभा से दस हजार मतों से जीत हासिल कर उन्होंने अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। 2014 के लोकसभा चुनाव में केशव को भाजपा ने फूलपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की। शुक्रवार को एक बार पुन: भाजपा ने उन पर विश्वास दिखाते हुए यूपी की कमान सौंपकर केशव के कद में चार चांद लगा दिए।

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संक्षेप में राजनीतिक सफर

1987-88 में - विहिप के जिला संगठन मंत्री (इलाहाबाद-कौशांबी एक था)

-1999- विहिप के प्रांत संगठन मंत्री

-2012- में सिराथू से विधायक चुने गए

-2014 में फूलपुर से संासद चुने गए

सिंघल के करीबियों में शामिल

केशव प्रसाद को अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ बेहतर वक्ता भी माना जाता है। वह विहिप नेता अशोक सिंघल के करीबियों में शुमार रहे। इसका फायदा भी उन्हें मिला। विहिप के राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाकर केशव ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। पूर्व में कौशांबी इलाहाबाद जिले में शामिल था तब केशव ने अपना राजनीतिक करियर करारी से शुरू किया था। जिला संगठन मंत्री का पद मिलने के बाद केशव से संगठन का प्रचार प्रसार किया करते थे। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद करारी कस्बे के श्याम सुंदर केसरवानी, रमेश चंद्र शर्मा, शारधा प्रसाद साहू, मनोज जायसवाल आदि ने खुशी का इजहार किया है।

एक नजर में केशव प्रसाद

- विहिप, बजरंग दल और भाजपा के अनेक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वाह किया।

- श्रीराम जन्म भूमि और गोरक्षा व हिन्दू हित के लिए अनेकों आन्दोलन किया और इसके लिए जेल भी गए।

- केशव प्रसाद की छवि संघर्षशील जननेता की है। फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन लाख आठ हजार तीन सौ आठ (308308) वोटो से ऐतिहासिक जीत हासिल की।

-इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में जो उपहार मिला है, उसमें भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। हाल में जर्मनी भ्रमण कर चुके है।

- कभी चाय और अखबार बेचने वाले केशव और उनकी पत्‍‌नी के नाम आज करोड़ों की संपत्ति है।

- लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय दिए गए हलफनामे के अनुसार आज केशव दंपति पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लाजिस्टिक आदि के मालिक हैं। साथ ही जीवन ज्योति हॉस्पिटल में दोनों की पार्टनरशिप है। सामाजिक कार्यो के लिए कामधेनु चेरीटेबल सोसायटी भी बना रखी है।

- उनके खिलाफ हत्या की साजिश सहित 11 अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं।