-केजीएमयू में बनेगा 'रिप्रोडक्टिव एंड पॉपुलेशन कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट'

-इनफर्टिलिटी से जूझ रहे पुरुषों को मिलेगा बेहतर इलाज

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: यूपी की बढ़ती पॉपुलेशन को नियंत्रित करने में केजीएमयू अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे पुरुषों को बेहतर सुविधाएं देकर उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल से भी बचाएगा। इसके लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 'रिप्रोडक्टिव एंड पॉपुलेशन कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट' की स्थापना होगी। यूरोलॉजी विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव अप्रूवल के लिए एकेडमिक काउंसिल को भेजा गया है।

होगा डिपाटमेंट का अपग्रेडेशन

वर्तमान में यूरोलॉजी विभाग में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चलाया जा रहा है। जहां पर मेल कंट्रासेप्शन, नो-स्केल्पल वैसेक्टोमी (एनएसवी) का कार्य किया जाता है। देश भर में खोले गए 16 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में से एक सेंटर यहां बनाया गया था। यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। एसएन शंखवार ने बताया कि वर्तमान में यही एक मात्र सेंटर क्रियाशील है। बाकी 15 सेंटर बंद हो चुके हैं। यही नहीं, यूपी में प्रति साल जितनी पुरुष नसबंदी होती है उसमें से 60 परसेंट से अधिक नसबंदी इसी सेंटर पर होती हैं। यह सेंटर भारत सरकार, यूपी सरकार और उत्तराखंड सरकार के लिए नसबंदी कार्यक्रमों का ट्रेनिंग सेंटर भी है। यूरोलॉजी विभाग अब इसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को अपग्रेड कर रिप्रोडक्टिव एंड पॉपुलेशन कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने की तैयारी में है। ताकि लोगों को बड़े स्तर पर सुविधाएं और ट्रेनिंग व रिसर्च कार्य भी किया जा सके।

डेवलप की थी नीडिल वैसेक्टमी विधि

इसी सेंटर पर डॉ। एनएस डसीला ने एक निडिल की सहायता से ही नसबंदी करने की विधि डेवलप की थी। यानी पुरुष नसबंदी अब एक रुपए से भी कम खर्च में नसबंदी की जा सकती है। इससे आसान विधि पूरे व‌र्ल्ड में अब तक कहीं नहीं है। इसे जर्नल में भी पब्लिश कराया जा चुका है। इसके अलावा डिस्टल वेसल फ्लशिंग और कई अन्य पेपर्स भी पब्लिश किए जा चुके हैं। हाल ही में परमानेंट नसबंदी के लिए इसी सेंटर पर एथिकल कमेटी ने 'वैस लाइगेशन' तकनीक को भी मान्यता दी है। इन उपलब्धियों के साथ ही अब इस नए इंस्टीट्यूट में विभाग की ओर से बड़े स्तर पर रिसर्च एक्टिविटीज शुरू करने की तैयारी है।

ये भी सुविधाएं

डॉक्टर्स के अनुसार एक्सीडेंट या अन्य वजहों से वैसेक्टमी होने पर दोबारा उसे जोड़ कर पुरुषों की नसबंदी खोलने की सर्जरी की जाएगी। जबकि सामान्य नीडल वैसेक्टमी विधि के मरीजों में यह कुछ मिनट में ही किया जा सकेगा।

इनफर्टिलिटी का बेहतर इलाज

प्रदेश भर में पुरुषों की इनफर्टिलिटी के लिए अभी तक कहीं एक डेडीकेटेड इंस्टीट़्यूट नहीं है। इस सेंटर में पुरुषों की इनफर्टिलिटी से संबंधित इलाज किया जाएगा। लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक 100 जोड़ों में लगभग 10 लोगों को इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। जिनमें 50 परसेंट दिक्कत पुरुषों और 50 परसेंट महिलाओं को होती है। इस सेंटर में पुरुषों की इनफर्टिलिटी से संबंधित इलाज किया जाएगा।

चलेंगे एमडी, डिप्लोमा कोर्सेज

यूरोलॉजी विभाग के डॉ। एसएन शंखवार ने बताया कि रिप्रोडक्टिव एंड पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए इस इंस्टीट़्यूट में पीजी और डिप्लोमा कोर्सेज भी कराए जाएंगे। एमडी कोर्स तीन वर्ष का और डिप्लोमा कोर्स दो वर्ष काोगा।

इनफर्टिलिटी की समस्याओं के समाधान और पॉपुलेशन कंट्रोल व रिसर्च के लिए एक डेडीकेटेड सेंटर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रो। एसएन शंखवार, एचओडी, यूरोलॉजी विभाग केजीएमयू