मुंबई (मिडडे)। 80 रुपये की पूंजी के साथ शुरू हुआ एक छोटा सा व्यापार छह दशकों में कई करोड़ रुपये के व्यवसाय में बदल चुका है। जी हां हम बात कर रहे हैं लिज्जत पापड़ की। लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी एक बड़ी सीख प्रदान करती है कि आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तीकरण से क्या कुछ नहीं किया जा सकता। अभी तक इस सफलता को आपने किताबों या आर्टिकल में पढ़ा होगा मगर लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी अब बड़े पर्दे पर भी दिखाई देगी।

बड़े पर्दे पर दिखेगी लिज्जत पापड़ की कहानी
फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर, जिन्होंने क्लासिक कहानियों को बड़े पर्दे पर लाने का काम किया है। वह लिज्जत पापड़ के पीछे की मेहनत को सबके सामने लाना चाहते हैं कि कैसे एक महिला ने छह महिलाओं को साथ में लेकर घर से पापड़ बनाने का काम शुरु किया और आज वह करोड़ों की कंपनी बन चुकी है। इस फिल्म में कियारा आडवाणी लीड रोल में नजर आएंगी। फिल्म निर्माता और उनकी टीम लगभग एक साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। एक सूत्र ने खुलासा किया, "अंतिम स्क्रिप्ट को लॉक कर दिया गया है, और इसे आशु सर के पूर्व सहायकों ग्लेन बरेटो और अंकुश मोहला द्वारा निर्देशित किया जाएगा। आशू सर ने ग्लेन के बाद अधिकारों की खरीद की और अंकुश ने उन्हें मध्यवर्गीय गुजराती गृहिणियों के बारे में बताया, जिन्होंने इसकी शुरुआत की थी।'

कियारा थी फिल्म की पहली पसंद
मुंबई की रहने वाली महिलाओं - जसवंतबेन पोपट, जयबेन विठलानी, पार्वतीबेन थोडानी, उजंबेन कुंडलिया, बानुबेन तन्ना, गावडे और लगुबेन गोकाणी - को सात बहनों के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने लिज्ज पापड़ बनाने की शुरुआत की। पहले एक दिन में चार पैकेटों का उत्पादन किया जाता था। अगले कुछ महीनों में टीम 200 से अधिक हो गई, क्योंकि उन्होंने पापड़ बाजार पर एकाधिकार कर लिया और लगभग 45,000 महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए। सूत्र ने कहा, "कियारा इस फिल्म की पहली पसंद थी। वह कोमलता और शांत शक्ति का सही संयोजन है, जो एक मध्यम वर्गीय महिला के हिस्से को अच्छे से निभा सकती हैं। मुम्बई में शूट होने वाली फिल्म अगस्त 2021 तक फ्लोर पर आ सकती है।'

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