PATNA : छत्तीसगढ़ के रायपुर उद्योगपति प्रवीण सोमानी के किडनैप मामले में नया खुलासा हुआ है। सोमानी का किडनैप वैशाली के कुख्यात पप्पू चौधरी ने पूरी तैयारी के साथ किया था। उसने सूरत जेल में ही तय कर लिया था कि जेल से बाहर निकलने के बाद अपहरण करना है। करीब पांच माह पूर्व जब वह जेल से बाहर आया तो उसने गूगल पर सर्च कर छत्तीसगढ़ के पांच उद्योगपतियों की प्रोफाइल खंगाली। चूंकि रायपुर में उसका एक रिश्तेदार पहले से था, इसलिए उसने सबसे पहले स्टील कारोबारी प्रवीण सोमानी को ही उठाने का फैसला किया। इसके लिए तीन महीने तक पप्पू का रिश्तेदार अरुण दैनिक मजदूर बनकर सोमानी की रेकी की। घर से लेकर ऑफिस तक हर बात की जानकारी जुटाई। पूरी जानकारी मिलने के बाद आठ जनवरी को पप्पू ने ओडिशा, बिहार, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक के अपराधियों के साथ ईडी अफसर बनकर प्रवीण का अपहरण कर लिया।

चंदन सोनार का था गुर्गा

अपहरण का किंगपिन पप्पू चौधरी पहले चंदन सोनार का गुर्गा था। चंदन के साथ मिलकर गुजरात के सोहेल ¨हगोरा का अपहरण किया था। सूत्रों की मानें तो करोड़ों रुपए लेकर गिरोह ने ¨हगोरा को हाजीपुर में रिहा कर दिया था। बाद में पप्पू चौधरी गिरफ्तार हो गया और उसे गुजरात के सूरत जेल भेज दिया गया। इसके बाद वह चंदन सोनार की तरह अपहरण की योजना बनाने लगा।

नाम बदल बनवाया था आधार कार्ड

पप्पू मूल रूप से वैशाली के बिदुपुर स्थिम मजलीशपुर पंचायत के गोपालुपर घाट निवासी पप्पू चौधरी एक और नाम गौरव कुमार बताया जा रहा है। उसने अपने आधार कार्ड से लेकर अन्य सभी पहचान से जुड़े कागजात को गौरव नाम से तैयार किया था।

बना लिया आलीशान बंगला

सुहेल ¨हगोरा अपहरणकांड कांड में पप्पू भी चंदन सोनार के साथ था। पप्पू पहले अपने पिता के साथ ताड़ी बेचता था। ¨हगोरा अपहरण कांड के बाद पप्पू के हिस्से में भी फिरौती की रकम आई थी। इसके बाद उसने बिदुपुर में आलीशान मकान तैयार कराया। पप्पू के जेल जाने के बाद उसके पिता ने ताड़ी बेचना बंद कर दिया और हाजीपुर महनार रोड पर खुद की सीमेंट, बालू और सरिया की दुकान खोल ली।

आखिर क्यों गिरफ्तार नहीं हुए अपराधी

उठ रहे सवाल

1. अगर संदिग्धों की मदद से उद्योगपति की सूचना मिली तो फिर उनके जरिए गिरोह में शामिल आधा दर्जन अन्य बदमाशों को पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार कर सकी?

2. जिस झोपड़ी में कारोबारी को छिपाने की बात कहीं गई वहां पुलिस ने पहुंच कर घेराबंदी की तो फिर अपहरणकर्ता फरार कैसे हो गए?

अलग-अलग भाग में बंटा था गैंग

रायपुर के उद्योगपति प्रवीण सोमानी का अपहरण का सरगना भले ही पप्पू चौधरी रहा हो, लेकिन अपहरणकर्ताओं की कई टीम इसमें शामिल थीं। गाडि़यों का बंदोबस्त करना, सोमानी को छिपाने की जवाबदेही और फिरौती के लिए फोन करने के लिए हर गिरोह का अलग-अलग काम था। ये सभी अपहरण के बाद से ही एक दूसरे के संपर्क में नहीं थे। तभी तो सोमानी के छुड़ाए जाने के लिए भी फिरौती के लिए कॉल आता रहा।

बात करने तोड़ देते थे सीम

फिरौती मांगने के बाद अपराधी सिम कार्ड के साथ मोबाइल भी तोड़कर फेंक देते थे। सूत्रों की मानें तो अपहरण में ओडिशा के शिशिर व कालिया गुंजाम, नालंदा के सुमन कुमार, अनिल चौधरी व बाबू प्रदीप, अंबेडकर नगर अजमल व आफताब, बेंगलुरु का अंकित और ओडिशा का मुन्ना नायक शामिल था। पुलिस इसमें मुन्ना नायक और अनिल चौधरी को गिरफ्तार कर चुकी है।