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LUCKNOW:
तारीख-30 जुलाई 2016. इंदिरानगर लोहिया विहार निवासी एचएएल कर्मी दिलीप डे अपने घर पहुंचते हैं. मकान के दरवाजे पर दूसरा ताला लगा देख उनका माथा ठनका. उन्होंने पत्‌नी शीला व बेटी श्रुति को आवाज लगाई. भीतर से कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल किया. मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने ताला तोड़ा और भीतर दाखिल हुए, लेकिन भीतर का नजारा बेहद डरावना था. शीला व श्रुति खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. उनका गला किसी धारदार हथियार से रेता गया था. पुलिस ने घायल मां-बेटी को इलाज के लिये हॉस्पिटल पहुंचाया, जहां शीला की मौत हो गई जबकि श्रुति की हालत कई दिनों तक नाजुक बनी रही. जांच में जुटी पुलिस टीम ने ब्लाइंड केस को महज दो दिन में सुलझा लिया और दो हत्यारोपियों को अरेस्ट कर लिया. इस केस के खुलासे में आरोपियों के मोबाइल की हरकत ने उन्हें पुलिस के राडार पर ला दिया और आखिरकार उन्हें जेल की हवा खानी ही पड़ी.

तो यूं हुआ खुलासा
पुलिस टीमों ने जांच शुरू की, लेकिन ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था कि वह घटना के खुलासे तक पहुंचा सके. आखिरकार तत्कालीन सीओ गाजीपुर दिनेश पुरी ने शीला के घर आने-जाने वाले लोगों की डिटेल इकट्ठा की. 15 लोग शॉर्ट लिस्ट किये गए. इन सभी के नंबरों के घटना वाले दिन की मूवमेंट खंगाली गई. 10 नंबर घटनास्थल के आसपास ही मौजूद मिले. एक नंबर पूरे दिन स्विच ऑफ मिला. सवाल गहरा रहा था कि इनमें से किस शख्स ने इस हरकत को अंजाम दिया. आखिरकार, सभी 11 मोबाइल नंबरों की पिछले 10 दिनों की डिटेल निकलवाई गई, यह कवायद यह जानने के लिये थी कि आखिर कौन सा नंबर कब ऑफ होता है, कब ऑन होता है और उस वक्त उसकी लोकेशन कहां होती है. आखिरकार यह सूत्र काम कर गया. एक नंबर अपने मिजाज के विपरीत घटना वाली रात किसी दूसरी जगह पर ऑन हुआ. यह नंबर इलेक्ट्रीशियन आदित्य कश्यप का था. पुलिस ने फौरन शक के आधार पर आदित्य को दबोचा तो चुटकियों में केस खुल गया.

लूट के लिये की हत्या, मिले 123 रुपये
पूछताछ के दौरान आदित्य ने बताया कि उसकी पत्‌नी उसे घुमाने के लिये कहती. इसके अलावा वह उससे तमाम मांगे पूरी करने के लिये दबाव बनाती थी. पत्‌नी के इन्हीं शौक को पूरा करने के लिये उसे रुपयों की जरूरत थी. इसके लिये उसने पड़ोसी दुकानदार गोपीदास के साथ हत्या कर लूट की साजिश रची. दोनों को उम्मीद थी कि घर में काफी रकम होगी. पर, पूरे घर व अलमारी की तलाशी के बाद वहां 123 रुपये ही निकले. हालांकि, लॉकर से कुछ ज्वैलरी जरूर मिली. पुलिस टीम ने आदित्य की निशानदेही पर लूटी गई ज्वैलरी भी बरामद कर पूरी घटना से पर्दा उठा दिया.

ऐसा हुआ घटना का खुलासा
शीला की हत्या व श्रुति को गंभीर रूप से घायल करने वाले शख्स के बारे में पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था. इसी दौरान सर्किल अफसर दिनेश पुरी को तरकीब सूझी. उन्होंने शीला के घर आने-जाने वालों की सूची तैयार करवाई और उनके मोबाइल नंबर हासिल किये. सभी नंबरों की लोकेशन व मिजाज को खंगाला गया. हर मोबाइल फोन रूटीन के मुताबिक ऑन-ऑफ होते सिवाय आदित्य के. उसने घटना वाले दिन सर्विलांस की जद में आने से बचने के लिये मोबाइल फोन ही स्विच ऑफ रखा. वहीं, घटना के बाद उसका मोबाइल फोन घटनास्थल से करीब पांच किलोमीटर दूर जाकर ऑन हुआ. बस मोबाइल की इसी हरकत ने उन्हें उस पर शक करने को मजबूर कर दिया और पुलिस टीम के हाथ हत्यारा जा लगा.