नई दिल्ली (पीटीआई)। कोविड -19 महामारी के बीच प्रवासियों मजदूरों की दुर्दशा से त्रस्त होकर किंग्स इलेवन पंजाब के ऑलराउंडर तजिंदर सिंह ढिल्लों मदद के लिए सड़क पर उतर आए। तजिंदर ने अब तक 10000 से अधिक शरणार्थियों को भोजन और पानी उपलब्ध करवाया है। क्रिकेटर की मानें तो पिछले हफ्ते टीवी में मजदूरों की दुर्दशा देखते हुए उन्हें काफी दुख हुआ। इसलिए उन्होंने अपनी तरफ से हरसंभव मदद की कोशिश की। राजस्थान के 27 वर्षीय तजिंदर ने अपने घर के पास हाईवे से गुजरने वाले गरीब प्रवासियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की।
घर से 100 मीटर दूर है हाईवे
किंग्स इलेवन पंजाब की वेबसाइट के अनुसार तजिंदर ने कहा कि कानपुर की ओर जाने वाला मुख्य राजमार्ग मेरे घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर है। लोगों ने बताया कि प्रवासी श्रमिक यहीं से होकर अपने-अपने घर जा रहे। तजिंदर कहते हैं, 'मैंने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि हम सभी को इन प्रवासी श्रमिकों की सामूहिक रूप से मदद करनी चाहिए, जिनमें से कई लोग चप्पल (चप्पल) के बिना चल रहे थे। मैंने तब अपने दोस्तों को बुलाया जो आसपास में रहते हैं और हमने प्रवासियों को भोजन वितरित करने के बारे में योजना बनाई।'
"Service to the needy is in our blood, it&यs part of the Sikh culture and tradition!" - @TajindersinghD6's truly leading by example 🙌🏻#SaddaPunjab #COVID19 https://t.co/rIJyxzk5D9
— Kings XI Punjab (@lionsdenkxip) May 19, 2020
मदद करने को लोग आगे आए
तजिंदर के इस नेक काम में दूसरों ने भी मदद की। किसी ने सब्जी तो किसी ने आटा उपलब्ध करवाया। क्रिकेटर ने कहा, "हमारे इलाके के एक सज्जन का सब्जी का व्यवसाय है इसलिए मैंने उनसे आग्रह किया कि वे मुझे (सब्जी) बनाने के लिए थोक में आलू दें। हमें 50 किलो गेहूं का आटा भी मिला, जिसे हमने अपनी कॉलोनी में बहुत सारे घरों में समान रूप से वितरित किया ताकि वे रोटी बना सकें। अंत तक, हमारे पास वितरण के लिए लगभग 1400 रोटी तैयार थी।"
अब तक 10 हजार लोगों को खिला चुके खाना
लोगों को खाना बांटने में स्थानीय पुलिस ने भी मदद की। पुलिसकर्मियों ने भीड़ को व्यवस्थित किया तजिंदर और उनके दोस्तों ने प्रवासियों को भोजन वितरित किया। उन्होंने आगे कहा, 'पहले दिन हमने लगभग 1000 प्रवासियों को खाना खिलाया, अगले कुछ दिनों में यह संख्या बढ़कर 5000 हो गई, जिसमें बहुत सारे छोटे बच्चे शामिल थे। उन्हें 'अलू-पूरी' खिलाने के साथ-साथ, हमने उन्हें दूध और शर्बत भी दिया। हम पांच दिनों से खाना बांट रहे हैं। आज सड़क पर कम लोग थे, इसलिए हमने उन बसों को भोजन दिया जो प्रवासियों को उनके घर कस्बों में वापस भेज रही थीं।"
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