लखनऊ (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद आज किसान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महापंचायत करने जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को एएनआई से बात करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सोमवार को लखनऊ में एमएसपी गारंटी पर कानून, लखीमपुर खीरी कांड और गन्ना किसानों का बकाया भुगतान न होने जैसे संबंधित मुद्दों पर एक महापंचायत करेगी। टिकैत ने दावा किया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अनुसार फसलों की खरीद नहीं कर रही है। इसके साथ ही कहा कि उन्होंने कहा, 'लखीमपुर खीरी में हुई घटना के खिलाफ पंचायत हो रही है। गन्ने की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। यह मुद्दा भी उठाया जाएगा। अभी 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। आलू उगाने वाले किसान परेशान हैं।

किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए

केंद्र सरकार ने तीन कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। राज्य सरकार को केंद्र को अन्य मुद्दों के बारे में लिखना चाहिए। हम चाहते हैं कि फसलों का सही दाम मिले, दर्ज हुए मुकदमों को वापस लिया जाए। इसलिए इन सभी के लिए पंचायत का समय निर्धारित किया गया है। बीकेयू नेता ने कहा कि दिल्ली में चल रहा विरोध न केवल तीन कृषि बिलों के खिलाफ है बल्कि एमएसपी गारंटी और बिजली संशोधन बिल की भी मांग कर रहा है। विरोध एक साल से चल रहा है। यह न केवल तीन बिलों के खिलाफ है, यह एमएसपी, बिजली संशोधन बिल और पराली जलाने के बारे में भी है। हमने केंद्र के साथ दो मुद्दों पर बातचीत की थी। उन्होंने अब तीन बिलों के बारे में बात की है। एमएसपी बकाया है। इसके अलावा इस एक साल में जो कुछ भी हुआ है, हम उसके बारे में भी बात करेंगे। इस विरोध प्रदर्शन में 750 किसानों की मौत हो चुकी है। लखीमपुर खीरी की घटना हुई।

सरकार को इन सभी मुद्दों पर बात करनी चाहिए

ये सभी मुद्दे लंबित हैं। केंद्र सरकार को किसानों से जुड़े इन सभी मुद्दों पर बात करनी चाहिए। एमएसपी पर कानून बनाना भी इसी विरोध का हिस्सा है। जब तक वे बात नहीं करेंगे, किसान वापस नहीं आएंगे। संयुक्त मोर्चा ने यह सब सरकार को लिखा है। टिकैत ने किसानों को यह संदेश दिया कि जहां भी आवश्यकता होगी देश भर में बैठकें आयोजित की जाएंगी और कहा कि केंद्र की कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बावजूद संघ की सभी बैठकें कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाएंगी। जब तक सरकार हमसे बात नहीं करती तब तक हमारी सभी निर्धारित बैठकें तय कार्यक्रम के अनुसार होंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को मुद्दों पर एक पत्र जारी करना चाहिए।

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