-लॉकडाउन में बढ़ा पतंग उड़ाने का क्रेज

-खूब बिक रहीं पतंगे लेकिन नहीं अपना रहे सुरक्षित तरीका

- दोगुने दामों पर मिल रहे पतंग और मांझा

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: कोरोना को लेकर हर जगह सफाई और सैनेटाइजेशन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मार्केट में जाने कहां से पंतग और मांझा आ रहा है जिसका इस समय क्रेज बढ़ गया है। डेली पूरे गोरखपुर की अगर बात करें तो सैकड़ों पतंगें आसमान में नजर आएंगी। शहर के गिने चुने इलाकों में चोरी चुपके पतंगों की खूब बिक्री हो रही है। एक तो इसमें न कोई सुरक्षा की व्यवस्था है न ही कहां से आई हैं पतंगे इसकी जानकारी किसी को है। जबकि कोरोना बीमारी किसी भी चीज से फैल सकती है। ये सबको पता है लेकिन इसके बाद भी कुछ जगहों पर लोग लापरवाही कर रहे हैं।

खालीपन दूर करने के लिए पतंग का सहारा

कोरोना वायरस से बचने के लिए जमीन पर लॉकडाउन और दफा 144 लागू है लेकिन आसमान में न लॉकडाउन और न ही दफा 144 लागू है। जब से लॉकडाउन लगा है तब से लोग घर में खाली हैं और इस खालीपन को दूर करने के लिए पतंगों का सहारा ले रहे हैं। पतंग उड़ाने वालों में 15 साल से 75 साल के लोग शामिल हैं। शहर के विभिन्न मोहल्लों के घरों की छतों पर आसमानों में दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक पतंगें उड़ती नजर आ रही हैं। कटी पतंगों को बच्चे लूट भी रहे हैं। वहीं कटी हुई पतंगें घरों व छतों पर पहुंच रही हैं। पतंग उड़ाने का क्रेज बढ़ने की वजह से पतंग और मांझे के मूल्य में दोगुना तक का इजाफा हो गया है। बसंतपुर, मोहल्ला सौदागार, घोसीपुर, तुर्कमानपुर, खूनीपुर, नखास, बनकटीचक, रायगंज, पांडेहाता, जाफरा बाजार, मिर्जापुर, अहमदनगर चक्सा हुसैन, बनकटीचक सहित तमाम जगहों पर मौजूद पतंगों की दुकानें बंद हैं लेकिन पतंगों की बिक्री फुटकर में घरों से हो रही है। तीन रुपए से लेकर बीस रुपए तक की पतंग बाजार में मिल रही है। वहीं मांझा दो सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपए तक बिक रहा है।

पतंगों को लेकर सतर्क भी रहें

आसमान में उड़ती पतंग संक्रमण फैला सकती हैं। गंभीर सवाल यह है कि पतंग, मांझा व सद्दी को सेनेटाइज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पतंग को छूने व पतंग की कन्नी बांधने के दौरान हम कई बार पतंग को छूते हैं। जब कोई शख्स पतंग के जरिए पेंच लड़ाता है तो यह कटी पतंग किसी के घर या छत पर पहुंचती है। जिससे वायरस दूसरों तक बहुत आसानी से पहुंच सकता है। गंभीर सवाल यह है कि जो लोग होम क्वारेंटाइन में रखे गए हैं अगर उन्होंने पतंग उड़ाई, पेंच लड़ाया और पतंग कट कर दूसरों के घर में पहुंची तो उसके क्या नतीजे होंगे? इन पतंगों को सेनेटाइज किया जाना मुमकिन नहीं है। मांझा व सद्दी सेनेटाइज नहीं हो सकते। ऐसे में यह पतंगें लुत्फ से ज्यादा बड़ी सजा बन सकती हैं। सिर्फ सोच कर देखिए कि अगर कोरोना पॉजिटिव शख्स पतंग उड़ाए और उसकी पतंग कटकर दूसरे की छत पर चली जाए तो पतंग उठाने या लूटने वाला संक्रमण की जद में आएगा कि नहीं?

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कोरोना से अवेयर कर रही उड़ती पतंग

ऐसे में कुछ युवा पतंग के जरिए कोरोना वायरस के बारे में बताकर लोगों को अवेयर भी कर रहे हैं। छोटे काजीपुर के मो। नाजिम अहमद जब कोई पतंग उड़ाते हैं तो पहले हाथों को सेनेटाइज करते हैं। पतंग उड़ाना बंद करने के बाद हाथ सेनेटाइज करते हैं। वहीं पतंग पर कोरोना वायरस से बचाव का पैगाम लिखकर पतंग उड़ाते हैं। पतंग पर लिखते हैं लॉकडाउन का पालन कीजिए, घर से न निकलिए, हाथ धोते रहिए, घर-मोहल्ले को साफ रखिए, छींकते व खांसते वक्त मुंह पर रुमाल रखिए आदि। जब इनकी पतंग कट जाती है तब पतंग के साथ पैगाम भी दूसरों तक पहुंच जाता है।

लागू है धारा-144

पतंग उडा रहे-15-75 साल तक के लोग

पतंग का रेट-3-20 रूपए तक

मांझा का रेट- 200-2000 रूपए तक

डेली पतंग की बिक्री-400-500