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'स्वामी और उसके दोस्तों' के लिए 'मालगुड़ी डेज' रचने वाले
मालगुड़ी डैज के स्वामी और उसके दोस्तों को तो आप जानते ही होंगे पर इनसे आपको रूबरू कराने में सबसे अहम भूमिका आर के नारायण ने निभाई थी। वो मालगुड़ी डेज के रचनाकार थे। अंग्रेजी साहित्य के सबसे महान उपन्यासकारों में नारायण का नाम बडे़ सम्मान के साथ लिया जाता है। आज नारायण जी का जन्मदिन है।

दोस्तों के लिए कुंजप्पा थे आरके नारायण
10 अक्टूबर 1906 को चेन्नई में आरके नारायण का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी एय्यर नारायण स्वामी था। उनका निकनेम कुंजप्पा था। नारायण अंग्रेजी साहित्य के सबसे महान उपन्यासकारों में गिने जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। आर के नारायण मैसूर के यादव गिरी में करीब दो दशक तक रहे। साल 1931 में स्वामी एंड फ्रेंड्स के नाम से उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ था। 

पद्म भूषण और साहित्य अकादमी से नवाजा गया था
1958 में द गाइड के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। इस नाम से एक फिल्म भी बनी जिसमें देवानंद ने गाइड का मशहूर किरदार निभाया था। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2000 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1990 में बीमारी की वजह से वो चेन्नई शिफ्ट हो गये थे। जिस मकान में वह रहते थे वो मकान आज भी हैं। मैसूर स्थित मकान में ही आर के नारायण ने 'बे रूप' उपन्यास लिखी थी। उनकी इच्छा थी कि उनके मकान को विरासत के रूप में सहेजा जाए नाकि उसे इमारत समझकर बेच दिया जाए। 

स्वामी तो याद ही होगा आपको
आर के नारायण का करियर पूरे 60 साल का रहा है। वो जब तक जीवित रहे लिखते रहे। 80 के दशक में आये धरावाहिक मालगुडी डेज लेखक आर के नारायण की फेमस कहानी मालगुडी डेज पर बेस्ड था। बच्चों में बेहद लोकप्रिय हुए इस धारावाहिक में नारायण के स्वामी एंड फ्रेंड्स तथा वेंडर ऑफ स्वीट्स जैसी लघु कथाएँ और उपन्यास भी शामिल किए गए थे। इस धारावाहिक को हिन्दी और अंग्रेज़ी दो भाषाओं में बनाया गया था। इस धारावाहिक में मुख्यपात्र स्वामी के किरदार में बाल कलाकार मंजुनाथ उस समय घर घर में बेहद जाना पहचाना चेहरा ही नहीं बल्कि देश के हर परिवार का हिस्सा हो गये थे। 
दोस्तों के लिए कुंजप्पा थे आरके नारायण

10 अक्टूबर, 1906 को चेन्नई में आरके नारायण का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी एय्यर नारायण स्वामी था। उनका निकनेम कुंजप्पा था। नारायण अंग्रेजी साहित्य के सबसे महान उपन्यासकारों में गिने जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। आरके नारायण मैसूर के यादव गिरी में करीब दो दशक तक रहे। 1931 में 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' के नाम से उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ था। 

'स्‍वामी और उसके दोस्‍तों' के लिए 'मालगुड़ी डेज' रचने वाले

पद्म भूषण और साहित्य अकादमी से नवाजा गया था

1958 में द गाइड के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। इस नाम से एक फिल्म भी बनी जिसमें देवानंद ने गाइड का मशहूर किरदार निभाया था। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 2000 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1990 में बीमारी की वजह से वो चेन्नई शिफ्ट हो गये थे। जिस मकान में वह रहते थे वो मकान आज भी हैं। मैसूर स्थित मकान में ही आरके नारायण ने 'बे रूप' उपन्यास लिखी थी। उनकी इच्छा थी कि उनके मकान को विरासत के रूप में सहेजा जाए नाकि उसे इमारत समझकर बेच दिया जाए। 

'स्‍वामी और उसके दोस्‍तों' के लिए 'मालगुड़ी डेज' रचने वाले

स्वामी तो याद ही होगा आपको

आरके नारायण का करियर पूरे 60 साल का रहा है। वो जब तक जीवित रहे लिखते रहे। 80 के दशक में आये धरावाहिक 'मालगुडी डेज' लेखक आर के नारायण की फेमस कहानी 'मालगुडी डेज' पर बेस्ड था। बच्चों में बेहद लोकप्रिय हुए इस धारावाहिक में नारायण के स्वामी एंड फ्रेंड्स तथा वेंडर ऑफ स्वीट्स जैसी लघुकथाएं और उपन्यास भी शामिल किए गए थे। इस धारावाहिक को हिन्दी और अंग्रेजी दो भाषाओं में बनाया गया था। इस धारावाहिक में मुख्यपात्र स्वामी के किरदार में बाल कलाकार मंजुनाथ उस समय घर-घर में बेहद जाना पहचाना चेहरा ही नहीं बल्कि देश के हर परिवार का हिस्सा हो गये थे। 

 

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