मन की शुद्धि के लिए होता है रमजान
कहा जाता है कि रमजान का महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी करने का महीना है। इस महीने में किसी रोजादार को इफ्तार कराने वाले शख्स के गुनाह माफ हो जाते हैं। ये महीना दिल से सारे विकारों को दूर निकाल कर अपनी आत्मा को पाक साफ करने के लिए होता है। आपको हर तरह से की बुराई, ऐब और गलत ख्याल से दूर रहने का हुक्म देता है ये महीना।

माहे रमजान: जितने देश रोजा रखने के उतने नियम,आप भी जानें

गरीबों का ख्याल
रमजान के बारे में नबीयों ने फरमाया है कि हमारे बीच कई जरूरतमंद लोग मौजूद हैं जिनके पास तन ढँकने के लिए कपड़ा तक मौजूद नहीं। अगर इस महीने में इंसान अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों को कुछ कम कर लें और यही रकम जरूरतमंदों को दें तो यह उनके लिए बेहद अज्र और ऊपर वाले की मेहरबानी का जरिया बनेगा। क्योंकि इस महीने में की गई एक नेकी का फल कई गुना बढ़ाकर अल्लाह की तरफ से मिलता है।

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रोजा सिखाता है खुद पर काबू करना  
मोहम्मद सल्ल ने कहा है जो शख्स नमाज के रोजे ईमान और दिल से रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। रोजा लोगों जब्ते नफ्स यानि खुद पर काबू रखने की ट्रेनिंग देता है। लोगों में परहेजगारी पैदा करता माहे रमजान में रोजा रखने वालों के जहन में चटपटे और मजेदार खाने का ख्याल नहीं आना चाहिए।

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हर किस्म की जरूरतों से परहेज
सुबह सूरज निकलने से लेकर सूरज के ढलने तक रोजा यानि व्रत चलता है। इस समय कुछ भी खाने पीने से रोजा टूट जाता है। यहां तक कि एक धूंट पानी या सिगरेट का एक कश भी आपके रोजे को अमान्य कर देता है। इतना ही आपको ना सिर्फ अपने हर शौक बल्कि हर जरूरत से परहेज करना होता है। रमजान में पति पत्नी को फिजिकली क्लोज होने से भी परहेज रखने को कहा जाता है।

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कुरान की सुन्नत पढ़ कर एक घूंट पानी और खजूर से खुलता है रोजा
रोजा सुबह सूरज उगने के एक घड़ी पहले सहरी के साथ शुरू होता है जब ऐसी चीजें खानें की सलाह दी जाती है जिससे आपको दिनभर प्यास और भूख से राहत रहे और शरीर में ताकत बनी रहे। वहीं शाम को सूरज ढलने के करीब पांच मिनट बाद कुरान की एक सुननत को पढ़ कर एक घूंट पानी और खजूर के साथ रोजा पूरा होता है। ये नियम पैंगंबर मोहम्मद साहब के समय से चला आ रहा है।

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क्या है इफ्तार
रमजान में इफ्तार एक सामाजिक इवेंट होता है जहां परिवार और पड़ोसियों से लेकर जान पहचान वालों को साथ में खाने का निमंत्रण दिया जाता है। ये एक उत्सव की तरह सबसे मिल कर मनाया जाता है। रमजान के महीने में लोग अक्सर इफ्तार दावत का आयोजन करते हैं।

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रमजान से जुड़ी कुछ रस्में
कई जगहों पर सुन्नी मुस्लमान रमजान के महीने में रात को मस्जिदों में जा कर प्रार्थना करते हैं जिसे तरावीह कहा जाता है। वहीं इजिप्ट में कई जगहों पर लोग एक लालटेन जैसी जला कर खने की मेज, दस्तरख्वान या खिड़कियों के बहार लटका देते हैं जिसे फानूस कहते हैं। कुछ अरब देशों में शेख मजलिस लगाते हें जिसमें उनकी हवेलियों के दरवाजे आम लोगों के लिए खोल दियो जाते हैं और वहां इफ्तार से लेकर सहरी तक रात भर उनके लिए खाने लिए इंतजाम रहता है जिसमें चाय काफी जैसी चीजें भी रहती हैं।

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देशों के हिसाब से बदल जाता है रोजे का वक्त
हर देश में जितना लंबा दिन होता है उतना ही लंबा रोजा होता है। जैसे अमेरिका में 16 घंटे 22 मिनट का रोजा होता है, फ्रांस में 18 घंटे 5 मिनट, बेल्जियम 18 घंटे 31 मिनट, इंग्लैंड 18 घंटे 44 मिनट, कनाडा 19 घंटे 15 मिनट, स्वीडन 20 घंअे 3 मिनट, नार्वे 20 घंटे 7 मिनट, जर्मनी 20 घंटे 11 मिनट, रूस 20 घंटे 23 मिनट और आइसलैंड 21 घंटे 3 मिनट।

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