जीवन की एक नई पारी की शुरुआत की

2004 में दीवाली के दिन एक हादसा हुआ और दीपक की आंखों की रोशनी चली गई। परिवार इतना समर्थ नहीं था कि अपने बेटे का इलाज बड़े अस्पताल में करा सकें। पेशे से ट्रक ड्राइवर पिता हवा सिंह और गृहणी मां सुदेश ने जहां तक संभव हुआ उनका इलाज कराया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें बता दिया कि अब उनका बेटा दीपक छह मीटर तक ही मुश्किल से देख पाएगा। यह दीपक के लिए सदमे से कम नहीं था। दीपक ने बताया कि अचानक हुए इस हादसे ने उसकी खुशियां छीन लीं और वह गहरे सदमे में चला गया, लेकिन उसके सपने जिंदा रहे। करीब चार साल बाद गांव के जिस स्कूल में वह पढऩे जाता था, वहीं के किसी शिक्षक ने दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल के बारे में बताया और पिता ने वहां दाखिला करवाया। यहां से उसने अपने जीवन की एक नई पारी की शुरुआत की।

दृष्टिहीनों को क्रिकेट खेलते देख मिली नई ऊर्जा

 दीपक बताते हैं कि जब वह ब्लाइंड स्कूल पहुंचे तो वहां देखा कि नेत्रहीन बच्चे भी क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्होंने अपने एक शिक्षक से पूछा कि क्या दृष्टिहीन बच्चे भी देश के लिए खेल सकते हैं। हां में जवाब मिलने के बाद दीपक ने उसी दिन से दोबारा क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और स्कूल की टीम के अहम सदस्य बन गए।

देर रात तक करते थे प्रैक्टिस

क्रिकेट के अपने जुनून के बारे में दीपक ने बताया कि जब सभी बच्चे रात को सो जाते थे तो वह अकेले ही दीवार पर बॉल मारकर प्रैक्टिस करते। कई बार ज्यादा रात होने पर स्कूल के प्रिंसिपल डांटते भी थे, लेकिन उनकी लगन को देखकर हौसलाअफजाई भी करते। आज उसी स्कूल की बदौलत पहले दीपक का चयन राज्य की टीम के लिए हुआ और फिर 2013 में नेशनल टीम के लिए। दीपक दृष्टिहीन क्रिकेट में बी-3 कैटेगरी के खिलाड़ी हैं। इस कैटेगरी में एक टीम में चार खिलाड़ी होते हैं।

ब्लाइंड क्रिकेट के सुपरस्टार है दीपक मल‍िक,जानें देश को वर्ल्‍ड कप ज‍िताने वाले इस क्रि‍केटर के बारे में

वर्ल्ड कप, टी-20 व एशिया कप में खेल चुके

ब्लाइंड क्रिकेट में भारतीय टीम को वर्ल्ड कप चैंपियन बनाने के अलावा दीपक ने टीम को एशिया चैंपियन और टी-20 चैंपियन बनाने में भी अहम योगदान दिया। जनवरी में खेले गए वर्ल्ड कप में दीपक एक बार भी आउट नहीं हुए और फाइनल में तो नाबाद 179 रनों की पारी खेली। उन्हें इसके लिए मैन ऑफ द सीरीज से नवाजा गया। इसी तरह 2014 के वर्ल्ड कप में भी उन्हें बेस्ट प्लेयर का अवार्ड मिल चुका है।

सरकार की अनदेखी से आहत

दीपक मलिक बताते हैं कि खेल में इतनी उपलब्धि और अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी होने के बाद भी हरियाणा सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, बावजूद इसके सरकार उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। खेलों को लेकर बड़े-बड़े दावे व अन्य खिलाडिय़ों को कई सुविधाएं देने वाली सरकार ब्लाइंड क्रिकेट को भुलाए बैठी है, जबकि वह भी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह बताते हैं कि सरकार से मदद या कोई नौकरी की आस तो दूर की बात, वर्ल्ड कप जीतने के बाद सरकार का कोई नुमाइंदा उन्हें बधाई तक देने नहीं आया।

Report By संजय निधि, सोनीपत

रेलवे ने किया इन स्पेशल ट्रेनों का ऐलान, होली बाद घर से वापसी में नहीं होगी यात्रियों को परेशानी

Cricket News inextlive from Cricket News Desk