खेल में भी निपुण

भारत के सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में पहचान जाने वाले अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पूना में हुआ था। अरुण ने अपने परिवार में ही फौजी जीवन बहुत करीब से देखा और महसूस किया था। अरुण को बचपन से क्रिकेट में बेहद रुचि थी। स्कूल के दिनों में खेल के मैदान पर इनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा।

सेकेंड लेफ्टिनेंट बने

अरुण ने सबसे पहले एन.डी.ए. में स्क्वेड्रन कैडेट के रूप में ज्वइनिंग की। इसके बाद देहरादून में इंडियन मिलिट्री अकेडमी में उन्हें सीनियर अण्डर ऑफिसर के पद पर तैनाती मिली। 13 जून, 1971 को अरुण को पूना हॉर्स में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट तैनात किया गया। वह हमेशा एक बेहतर सोल्जर की तरह डटे रहते थे।

जख्मी होकर भी

दिसंबर 1971 भारत पाक युद्ध शुरू हुआ। इस दौरान बसंतर में इन्होंने पाक सेना की नाक में दम कर रखा था। अरुण जब बुरी तरह से घायल थे उनके अधिकारियों ने उनसे दुश्मनों के टैंक छोड़ने को कहा लेकिन वह तैयार नहीं हुए। उन्होंने दुश्मन का आखिरी महज 100 मीटर की दूरी वाला टैंक भी बर्बाद कर दिया था।

सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जि‍न्‍होंने बसंतर में पाक सेना की नाक में कर दिया दम

शहीद हो गए

युद्ध के दौरान वह यह कहते रहते थे कि जब तक उनकी गन काम करेगी वह दुश्मनों को नहीं छोडेंगे । 16 दिसंबर 1971 को अरुण खेत्रपाल शहीद हो गए थे। ऐसे में पहले तो उनका शव पाक के टैंक फमगुस्ता ने उनका शव अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि बाद में भारतीय सेना की मांग पर पाक ने उनका शव लौटा दिया था।  

परमवीर चक्र

अरुण की शहादत के बारे में उनके परिजनों को काफी समय बाद पता चल पाया था। जब उनके घर पर अरुण की अस्थियां आई थीं। इस दौरान पूरे देश को गर्व हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत के हाथों को मुंह की खानी पड़ी और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना। वहीं अरुण को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित हुए।

National News inextlive from India News Desk

National News inextlive from India News Desk