पांच बार बने मुख्यमंत्री
मुत्तुवेल करुणानिधि पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) तमिलनाड़ के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में चुनाव में लगातार अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है।

नाटककार और पटकथा लेखक
करुणानिधि तमिल सिनेमा जगत के एक पटकथा लेखक और नाटककार भी हैं। उनके चाहने वाले उन्हें कलाईनार यानि "कला का विद्वान" कहकर बुलाते हैं। एक पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया और समाजवादी और बुद्धिवादी आदर्शों को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक (सुधारवादी) कहानियां लिखने के लिए मशहूर हुए।

बड़े सितारों को दिया मौका
उन्होंने तमिल सिनेमा जगत के दो प्रमुख अभिनेताओं शिवाजी गणेशन और एस. एस. राजेन्द्रन से दुनिया को परिचित करवाया।

सामाजिक विषयों पर फिल्में
करुणानिधि ने विधवा पुनर्विवाह, अस्पृश्यता का उन्मूलन, आत्मसम्मान विवाह, ज़मींदारी का उन्मूलन और धार्मिक पाखंड का उन्मूलन जैसे विषय को शामिल किया। जैसे-जैसे उनकी सामाजिक संदेशों वाली फ़िल्में और नाटक लोकप्रिय होते गए, वैसे-वैसे उन्हें सेंसरशिप के दवाब का सामना करना पड़ा। 1950 के दौरान उनके दो नाटकों को प्रतिबंधित कर दिया गया।

कहानीकार और स्‍क्रिप्‍ट राइटर से तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री तक विवादों से भरा रहा करुणानिधि का सफर

राजनीति में प्रवेश
जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय युवाओं के लिए एक संगठन की स्थापना की। उन्होंने तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम नामक एक छात्र संगठन की स्थापना की जो द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था।

पत्रकारिता से जुड़ाव
उन्होंने मनावर नेसन नामक एक हस्तलिखित अखबार शुरू किया। बाद में उन्होंने छात्रों के लिए एक अखबार चालू किया जो डीएमके दल के आधिकारिक अखबार मुरासोली के रूप में सामने आया। इसके अलावा उन्होंने कुडियारसु के संपादक के रूप में काम किया है और मुत्तारम पत्रिका को भी अपना काफी समय दिया है। वे स्टेट गवर्नमेंट्स न्यूज़ रील, अरासु स्टूडियो और तमिल एवं अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने वाली सरकारी पत्रिका तमिल अरासु के भी संस्थापक हैं।

तमिल साहित्य में अपने योगदान
करुणानिधि तमिल साहित्य में अपने योगदान के लिए मशहूर हैं। उनके योगदान में कविताएं, चिट्ठियां, पटकथाएं, उपन्यास, जीवनी, ऐतिहासिक उपन्यास, मंच नाटक, संवाद, गाने इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने तिरुक्कुरल, थोल्काप्पिया पूंगा, पूम्बुकर के लिए कुरालोवियम के साथ-साथ कई कविताएं, निबंध और किताबें लिखी हैं।

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करुणानिधि की लिखी किताबें
रोमपुरी पांडियन, तेनपांडि सिंगम, वेल्लीकिलमई, नेंजुकू नीदि, इनियावई इरुपद, संग तमिल, कुरालोवियम, पोन्नर शंकर, और तिरुक्कुरल उरई . उनकी कहानी और कविता की पुस्तकों की संख्या 100 से भी अधिक है।

नाटक
करुणानिधि के नाटकों में विशेष रूप से मनिमागुडम, ओरे रदम, पालानीअप्पन, तुक्कु मेडइ, कागिदप्पू, नाने एरिवाली, वेल्लिक्किलमई, उद्यासूरियन और सिलप्पदिकारम के नाम लिए जाते हैं।

स्क्रिप्ट राइटिंग
20 वर्ष की उम्र में करुणानिधि ने ज्यूपिटर पिक्चर्स के लिए पटकथा लेखक के रूप में कार्य शुरु किया। उन्होंने पहली फिल्म राजकुमारी लिखी। उन्होंने कुल 75 पटकथायें लिखी हैं। अबिमन्यु, मंदिरी कुमारी, मरुद नाट्टू इलवरसी, मनामगन, देवकी, पराशक्ति, पनम, तिरुम्बिपार, नाम, मनोहरा, अम्मियापन, मलाई कल्लन, रंगून राधा, राजा रानी, पुदैयाल, पुदुमइ पित्तन, एल्लोरुम इन्नाट्टु मन्नर, कुरावांजी, ताइलापिल्लई, कांची तलैवन, पूम्बुहार, पूमालई, मनी मगुड्म, मारक्क मुडियुमा?, अवन पित्तना?, पूक्कारी, निदिक्कु दंडानई, पालईवना रोजाक्कल, पासा परावाईकल, पाड़ाद थेनीक्कल, नियाय तरासु, पासाकिलिग्ल, कन्नम्मा, यूलियिन ओसई, पेन सिन्गम और इलइज्ञइन।

गीतकार भी हैं
करुणानिधि ने विश्व शास्त्रीय तमिल सम्मलेन 2010 के लिए आधिकारिक विषय गीत "सेम्मोज्हियाना तमिज्ह मोज्हियाम" लिखा जिसे उनके अनुरोध पर ए. आर. रहमान ने संगीतबद्ध किया।

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विवाद
करुणानिधि पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप हमेशा लगता रहा है। करूणानिधि के विरोधियों, उनकी पार्टी के कुछ सदस्यों और अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने करूणानिधि इस बात को बढ़ावा देने और नेहरु-गांधी परिवार की तरह एक राजनीतिक वंश का आरम्भ करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। डीएमके को छोड़ कर जाने वाले नेता वाइको की आवाज़ सबसे बुलंद है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एम. के. स्टालिन और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक खतरे के रूप में वाइको को दरकिनार कर दिया गया। उनके भतीजा स्वर्गीय मुरासोली मारन एक केन्द्रीय मंत्री थे हालांकि ये भी सच है कि 1969 में करूणानिधि के मुख्यमंत्री बनने से काफी समय पहले से वे राजनीति में थे।

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भ्रष्टाचार का आरोप
उन पर सरकारिया कमीशन द्वारा वीरानम परियोजना के लिए निविदाएं आवंटित करने में भष्टाचार का आरोप लगाया गया। करुणानिधि, पूर्व मुख्य सचिव के. ए. नाम्बिआर और अन्य कई लोगों के एक समूह को चेन्नई में फ्लाईओवर बनाने में भष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें और उनकी पार्टी के सदस्यों पर आईपीसी की धारा 120 (b) (आपराधिक षड्यंत्र), 167 (घायल करने के इरादे से सरकारी कर्मचारी द्वारा गलत दस्तावेज का निर्माण), 420 (धोखाधड़ी) और 409 (विश्वास का आपराधिक हनन) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13(1)(d) के साथ 13(2) के तहत कई आरोप लगाए गए लेकिन उनके और उनके बेटे एम. के. स्टालिन के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।

राम सेतु से संबंधित टिप्पणियां
करूणानिधि ने भगवान राम के वजूद पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि 17 लाख्ा साल पहले राम नाम के व्यक्ति ने बिनाछुए समुद्र पर पत्थरों से पुल बनाया। ये राम कौन है और उसने किस इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री ली इसका कोई प्रमाण है। इस बात पर बबाल खड़ा हो गया और हर ओर से उन पर हमले किए जाने लगे। लेकिन इन बयानों के जवाब में करुणानिधि ने बेखटके कहा कि "राम के वजूद के दावे को सही साबित करने के लिए यहां न तो वाल्मीकि मौजूद हैं और न ही राम। यहां केवल एक ऐसा समूह है जो लोगों को बेवक़ूफ़ समझता है। वे गलत साबित होंगे।

एलटीटीई से संबंध
राजीव गांधी की हत्या की जांच करने वाले जस्टिस जैन कमीशन की अंतरिम रिपोर्ट में करूणानिधि पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था। अप्रैल 2009 में करूणानिधि ने भी एक विवादस्पद टिप्पणी की थी कि प्रभाकरण उनका अच्छा दोस्त है, और यह भी कहा कि राजीव गांधी की हत्या के लिए भारत एलटीटीई को कभी माफ नहीं कर सकता।

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कई शादियां और बच्चे
पहले करूणानिधि मांसाहारी थे लेकिन अब शाकाहारी हो गये हैं। उनका दावा है कि उनकी स्फूर्ति और सफलता का रहस्य उनके द्वारा दैनिक रूप से किया जाने वाला योगाभ्यास हैं। उन्होंने तीन बार शादी की, उनकी पत्नियां हैं पद्मावती, दयालु आम्माल और राजात्तीयम्माल। एम.के. मुत्तु, एम.के. अलागिरी, एम.के. स्टालिन और एम.के. तामिलरसु उनके बेटे हैं। सेल्वी और कानिमोझी बेटियां हैं। पद्मावती जिनकी काफी पहले मृत्यु हो गयी उनके सबसे बड़े पुत्र एम.के. मुत्तु हैं। अज़गिरी, स्टालिन, सेल्वी और तामिलरासु दयालुअम्मल की संताने हैं। जबकि कनिमोझी उनकी तीसरी पत्नी राजात्तीयम्माल की पुत्री हैं।

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