देवशयन एकादशी को अन्य एकादशियों की भांति कृत्य करने के उपरान्त देवशयन नामक पावन कृत्य करने के अपरान्त देवशयन कृत्य भी करना चाहिए। इसके अन्तर्गत भगवान विष्णु के विग्रह को पचांमृत से स्नान करवाकर धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए। इसके बाद यथाभक्ति सोना-चांदी आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछा कर और उस पर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु को शयन करवाना चाहिए।

इन चीजों का करना चाहिए त्याग

- पृथ्वी पर सोना

- सूर्य ब्रह्मचर्य का व्रत का पालन करना चाहिए।

- तेल का त्याग करना चाहिए

- इस ओर दही का त्याग करना चाहिए

- गुड़-शहद, नमक आदि का सेवन नहीं करना चाहिए

- शाक-भात का सेवन नहीं करना चाहिए

- अहिंसा व्रत का पालन करना चाहिए

- अस्तेय का पालन करना चाहिए

- सदैव सत्य बोलना चाहिए

- क्रोध का त्याग करना चाहिए

- सन्तों की संगति करनी चाहिए

12 जुलाई को देवशयनी एकादशी, जानें इस हफ्ते पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों के बारे में

देवशयन एकादशी के दिन से चातुर्मास का आरम्भ होता है। इस अवधि में भगवान पाताल से राजा बालि के यहां निवास करते हैं और चार माह बाद कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी को वापस लौटते हैं। इस अवधि में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। चातुर्मास्य में ईश्वर वंदना का विशेष पर्व है। उक्त चार महीने की अवधि से संकल्प लेकर एक स्थान पर विशेष साधनाएं करनी चाहिए। सन्त लोग चातुर्मास्य से किसी नगर या स्थान पर रुककर साधनाए करते हैं। चातुर्मास्य में उपवास का विशेष महत्व है जो व्यक्ति इन चार महीने में उपवास का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति इस चार महीनों में उपवास रखता है उसकी मनोकमना पूर्ण होती है। 12 जुलाई से लेकर 8 नवंबर तक ये चातुर्मास्य रहेगा।

पंडित दीपक पांडेय

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