वेब सीरीज : कोटा फैक्ट्री 2
कलाकार : जीतेन्द्र कुमार, मयूर मोरे, रंजन राज, आलम खान, अहसास चन्ना , रेवती पिल्लई, उर्वी सिंह
निर्देशक : राघव सुब्बू
चैनल : नेटफ्लिक्स
रेटिंग : ढाई

क्या है कहानी
वैभव (मयूर), बालमुकुंद मीना( रंजन राज ), उदय(आलम खान),शिवांगी ( अहसास चन्ना), रोहित( रोहित सुखवानी), वर्तिका( रेवती), मीनल (उर्वी) अपने-अपने क्लासेस में लौट आये हैं, इस सोच के साथ कि उन्हें आई आईटी क्रैक करना ही है जीतेन्द्र उर्फ़ जीतू सर ने Prodigy Classes छोड़ दिया है, यह सोच कर कि उन्हें अपनी अकादमी शुरू करनी है। कहानी में स्टूडेंट्स की जिंदगी के वैसे पहलुओं पर सरसरी निगाह डाली गई है, जिसमें वह अपने करियर में बेस्ट करने के चक्कर में किस-किस दौर से गुजरते हैं, किन चुनौतियों का सामना करते हैं, उनके साथ कैसे साइकोलॉजिकल इश्यूज होते हैं और इन सबके बीच परिवार, दोस्त वाला इमोशन ऐंगल भी है। लेकिन इसमें कोई भी नयापन नहीं है।

क्या है अच्छा
इमोशनल और ह्यूमर एंगल अच्छा है। टीवीएफ तमाम खामियों के बावजूद ह्यूमन इमोशन वाले शोज के साथ आगे बढ़ रहा है। यह सीरीज भी इस कड़ी में एक अच्छा काम है।

क्या है बुरा
जीतू सर पर सीरीज का फोकस होना, पुराने ढर्रे वाला नैरेटिव अंदाज, जब पहला सीजन आया था तो अपने तरीके का यह पहला खास शो था, लेकिन अब जबकि ऐसे कई शोज वेब पर उपलब्ध हैं, इस शो से कुछ नएपन की उम्मीद थी।

अदाकारी
रंजन राज की अदाकारी इस पर सीरीज की जान हैं। यह एक ऐसा किरदार निभा रहे हैं, जो हर उस युवा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अंडर प्ले करना जानते हैं। कई ऐसे मुद्दे पर इनके द्वारा बात की गई है, जिसे दिखाने के लिए अन्य निर्देशक काफी भाषणबाजी करते हैं। इनके अलावा अहसास के किरदार ने ध्यान खींचा है। शेष कलाकारों ने औसत ही काम किया है। जीतेन्द्र कुमार के अभिनय में भी वह पुराना अंदाज़ नजर नहीं आया है।

वर्डिक्ट
तमाम खामियों के बावजूद सीरीज स्टूडेंट्स और युवाओं में लोकप्रिय है तो वे एक बार सीरीज देखना तो जरूर चाहेंगे।

Review by: अनु वर्मा

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