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PATNA(26 July): बिहार की सबसे पुरानी शोध संस्थान काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान आज अपनी वजूद की आखिरी जंग लड़ रहा है। एक समय था जब इस शोध संस्थान में हजारों स्टूडेंट्स इतिहास पर रिसर्च करने और अध्यन करने आया करते थे। पर अब ऐसा लग रहा है कि इतिहास विषय पर शोध के लिए स्थापित संस्थान स्वंय 'इतिहास' बनने की ओर अग्रसर है। कारण यह है कि इस संस्थान की शुरू से ही सरकारी उपेक्षा हो रही है। नतीजा सामने है। यहां वर्ष क्99म् से पुस्तक विक्रेता सहित पुस्तकालय अध्यक्ष का पद भी रिक्त हैं।

भ् शोध संस्थानों की हुई स्थापना

क्9भ्0 में राज्य सरकार की ओर से भ् शोध संस्थानों की स्थापना की गई थी। इसी कड़ी में इतिहास विषय पर शोध करने के लिए काशी प्रसाद जायसवाल संस्थान की स्थापना की गई। जबकि संस्कृत के लिए मिथिला शोध संस्थान दरभंगा, पाली भाषा के विकास के लिए नालंदा महा बिहार शोध संस्थान की स्थापना की गई। जिसे आज केन्द्र सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है। वैशाली में प्राकृतिक एवं जैन अहिंसा शोध संस्थान तो अरबी फारसी भाषा के विकास के लिए अरबी फारसी शोध संस्थान स्थापित की गई।

-हजारों आते थे रिसर्च करने

एक समय था जब काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान में रिसर्च करने के लिए हजारों स्टूडेंट्स आते थे। पर आज स्थिति यह है कि क्99म् में पुस्तक विक्रेता और पुस्तकालय अध्यक्ष पद से कर्मचारी के रिटायर्ड हो जाने के बाद स्टूडेंट्स यहां झांकने तक नहीं आते। स्टूडेंट्स के लिए संस्था की ओर से करोड़ो रुपए के पुस्तकों का प्रकाशन कराया गया। जिसमें राहुल सांकृत्यायन तिब्बत से लाए गए दुर्लभ पाण्डुलिपी, बौद्ध धर्म का इतिहास, संत कबीर का धर्म दर्शन, बिहार हिन्दी पत्रकारिता का विकास, आधुनिक हिन्दी भारतीय इतिहास के स्त्रोत के रुप में हिन्दी साहित्य, मृच्छकटिकम, में वर्णित समाज और संस्कृति, पाटलिपुत्रा से पटना तक का इतिहास जैसे सैकड़ो दुर्लभ ग्रंथ का प्रकाशन हुआ था। जो एक बंद कमरे अपनी पहचान को मोहताज है।

-निराश लौटते हैं स्टूडेंट्स

नाम न छापने की शर्त पर वहां के एक कर्मचारी ने बताया कि राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाए गए पाण्डुलिपी पर शोध करने के लिए विदेश से कई स्टूडेंट्स यहां आते हैं। ऐसे में पुस्तकालय अध्यक्ष न होने के चलते उन्हें निराश लौटना पड़ता है। कई स्टूडेंट्स पुस्तक खरीदने की बात करते हैं मगर पुस्तक विक्रेता के नहीं होने के कारण भी स्टूडेंट्स किताबों से वंचित रह जाते हैं।

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