-ध्वज पताका और अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन करते रहे नागा संन्यासी

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PRAYAGRAJ: कुंभ मेला का तीसरा शाही स्नान पर्व बसंत पंचमी पूरे उल्लास और उमंग के साथ ऐसे अलौकिक नजारे का गवाह बना। अखाड़ों का शाही जुलूस अपनी भव्यता बिखरेता हुआ दिखाई दिया। मेला के अंतिम शाही स्नान पर्व क्या नागा संन्यासी, क्या संत-महात्मा क्या उनके अनुयायी। हर कोई बासंतिक रंग में रंगा हुआ था। हाथों में गेंदे का फूल और संत-महात्माओं के पूरे शरीर को सुशोभित करती फूलों की माला के बीच जब एक-एक कर अखाड़ों ने शाही स्नान के लिए जुलूस निकाला तो हर-हर महादेव, बोल बम-बोल बम, जय सियाराम और जय-जय श्रीराम के गगनभेदी उद्घोष के बीच शाही स्नान खास बनता चला गया।

आमने-सामने हुए नागा संन्यासी तो बढ़ा कौतुहल
शाही स्नान के जुलूस के दौरान एक पल ऐसा आया जो हजारों श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल जैसा रहा। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा व तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के नागा संन्यासी शाही स्नान करके लौट रहे थे तो सामने से सर्वाधिक नागा संन्यासियों वाले अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा व श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के हजारों नागा संन्यासियों का समूह शाही स्नान के लिए संगम जा रहा था। श्रद्धालुओं के अपार समूह को देखकर अखाड़ों के नागा संन्यासियों ने भी अपना करतब दिखाना शुरु कर दिया। कोई दौड़ने लगा, कोई जमीन पर लेट गया, कोई चिलम पीकर हर-हर महादेव का जयकारा लगाने लगा तो अधिकांश नागा संन्यासी त्रिशूल और फरसा हिलाते रहे।

ध्वज-पताका और जय श्रीराम की गूंज
संन्यासी परंपरा के अखाड़ों के बाद वैरागी परंपरा के अन्तर्गत आने वाले अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनि अखाड़ा, दिगम्बर अनि व निर्वाणी अनि अखाड़ा का एक के पीछे क्रम के अनुसार जुलूस शाही स्नान के लिए निकला। इन अखाड़ों के जुलूस की खासियत यह रही कि ध्वज-पताका लेकर अनुयायी चल रहे थे तो फटका व गतका से रोमांच दिखाते हुए संन्यासी श्रद्धालुओं को अचंभित करते रहे। रथों पर सवार होकर निकले त्यागी महामंडलेश्वरों के साथ चल रहे अनुयायी ढोल-ताशा की धुन पर जय श्रीराम, जय श्रीराम व सीताराम सीताराम का उद्घोष करते रहे।

सभी ने रखा समय का ध्यान
दो दिन पहले मेला प्राधिकरण व अखाड़ा परिषद के बीच हुई बैठक में पूर्व में हुए दो शाही स्नान पवरें में देरी को देखते हुए शाही स्नान की टाइमिंग को लेकर सहमति बनी थी। जिसका असर बसंत पंचमी शाही स्नान पर्व पर दिखाई दिया। संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी, अटल, निरंजनी, आनंद, जूना, आवाहन, अग्नि अखाड़े समय से अपने छावनी से शाही स्नान को निकले तो घाट से भी स्नान कर समय से लौटे। इसी तरह वैरागी परंपरा के निर्मोही अनि, दिगम्बर अनि व निर्वाणी अनी अखाड़ा के अलावा श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, बड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़ा के संत-महात्माओं ने भी शिविर से प्रस्थान, घाट पर आगमन, स्नान का समय, घाट से प्रस्थान व शिविर में पहुंचने के लिए तय किए गए क्रम का ख्याल रखते हुए सनातन परंपरा में समरसता का परिचय दिखाया।