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PRAYAGRAJ: प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं को उनके खानदानी पंडों तक पहुंचने में सबसे अधिक मदद पंडों के यूनीक निशान करते हैं। यही कारण है कि देश के अलग-अलग कोने से आने वाले श्रद्धालु और स्नानार्थी बिना किसी समस्या के इन पंडों तक इन्हीं निशानों के सहारे पहुंचते है। पंडों के इन निशानों की खास बात यह है कि इनके नाम बहुत ही अनोखे होते हैं। प्रत्येक पंडा के नाम सबसे अलग होते हैं, जिन्हें कोई कॉपी नहीं कर सकता है। कई पीढि़यों से आने वाले श्रद्धालुओं को भी अपने पंडा या तीर्थपुरोहित का निशान पता रहता है।

अनोखे नाम बने हैं पहचान
छेदी लाल बीए पंडा, इनका निशान छटा पटि है। इसके पीछे एक रोचक बात भी है। लक्ष्मीकांत पाठक के पिता ने अंग्रेजों के समय में बीए पास किया था। उस दौर में ग्रेजुएशन करने वालों की संख्या बेहद कम थी। यही कारण है कि उन्होंने अपने नाम के साथ बीए जोड़ रखा। ऐसे ही कई नाम हैं।

-पूरन पंडा पेटारी वाले

-दशरथ भरत पंडा जहाज वाले

-लल्लन जी पंडा कड़ाही वाले

-राजकुमार पंडा महल वाले

-नैमीष कुमार पंडा, हाथी है जिनका निशान

-पंडा चक्रधर वाले

-तीन लोटे वाले पंडा

-काली कमली वाले

-चांदी के नारियल वाले राजगुरु पंडा

-टेढ़ी नीम वाले पंडा

-पंडा महादेव भागीरथ, निशान हनुमान झंडा

-स्व। दाई पंडा निशान घोड़ा झंडा

-पंडा टेढ़ी कमान वाले