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PRAYAGRAJ: ऐसे तमाम उदाहरण रोज मिल जाएंगे। वेशभूषा और भाषा किराया तय करने का पैमाना बन गया है। युनिटी इतनी जबरदस्त है कि जो किराया एक ने बोल दिया वहां मौजूद सभी वही किराया बताएंगे। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रशासन की सख्ती व तमाम इंतजाम के बावजूद प्राइवेट वाहन चालक चूना लगा रहे हैं। इस खेल में आटो चालकों के साथ ई रिक्शा चालक भी शामिल हैं। पुलिस के पास इक्का-दुक्का मामले ही पहुंच रहे हैं।

मजबूर हैं अनजान श्रद्धालु
कुंभ मेला शुरू होने से पहले पुलिस प्रशासन द्वारा यातायात व्यवस्था को लेकर तमाम दावे किए गए थे। कहा गया था कि तीन पहिया व ई-रिक्शा का किराया कुंभ मेला में प्रशासन द्वारा निर्धारित किया जाएगा। वाहनों के चालकों को वर्दी दी जाएगी। बगैर वर्दी के कोई भी चालक सवारी लेकर कुंभ मेला एरिया में प्रवेश नहीं कर सकेगा। मेला शुरू होने के बाद यह दावे खोखले हैं। बगैर वर्दी के तिपहिया व ई-रिक्शा चालक मेला क्षेत्र तक सवारियों को बेरोक-टोक ले आ रहे हैं।

केस-1
अयोध्या से संगम नहाने चार दोस्तों के साथ आए रमेश श्रीवास्तव ने बालसन चौराहे से ई-रिक्शा बुक किया। रिक्शा वाले ने उनसे डेढ़ हजार रुपए की मांग की। कई रिक्शा वालों से बात की गई। इससे कम में कोई आने को तैयार नहीं हुआ। पास में खड़े कुछ लोगों ने चालकों को फटकार लगाई तो वे संगम तक पहुंचाने के लिए एक हजार रुपए में तैयार हुए। वहां से परेड मैदान में लाकर उतार दिए। यहां संगम तक ले जाने की बात को लेकर नोंकझोक होने लगी। पुलिस ने तय किराया दिलाया और रिक्शा चालक को वापस कर दिया।

केस-2
दारागंज चौराहे पर मथुरा से आए कुलश्रेष्ठ यादव परेशान नजर आए। तिपहिया वाहन चालक उन्हें पुल नंबर 15 तक छोड़ने के लिए 70 रुपए पर बैठा लिया। बीच रास्ते में किराया वसूल कर उन्हें दारागंज तिराहे पर लाकर उतार दिया।

वाहन चालक जिस भी श्रद्धालु को इस तरह परेशान करें वे तत्काल पास में ड्यूटी पर लगे सिपाहियों से शिकायत करें। वह मामले में सख्त कार्रवाई करेगा। ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-ओपी सिंह,

पुलिस अधीक्षक यातायात