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PRAYAGRAJ: ऐसी मान्यता है कि जहां नागा होंगे, वहां चिलम और गांजा भी होगा। कुंभ मेला में भी ये नजारा खूब दिख रहा है। ऐसे में अगर कोई उनसे गांजा और चिलम छोड़ने के लिए कहे तो असंभव जैसा लगता है। लेकिन योग कला से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने वाले बाबा रामदेव ने कुंभ मेले में अनोखी पहल की है। उन्होंने साधु-संतों व नागा बाबाओं के हाथ से चिलम छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है।

अनूठा है अभियान
योग गुरु बाबा रामदेव ने बुधवार को संगम नगरी प्रयागराज से एक अनूठे अभियान की शुरुआत की। बाबा रामदेव बुधवार की सुबह कई अखाड़ों में पहुंचे और झोली फैलाकर नागा साधुओं से नशा छोड़ने का अनुरोध किया। बाबा रामदेव ने कहा कि चिलम नहीं पीना चाहिए। इसे छोड़ने में ही भलाई है। उन्होंने साधु, संतों व नागा बाबाओं को समझाया कि चिलम से एकाग्रता नहीं बढ़ती है, बल्कि मानसिक बीमारी बढ़ने लगती है। कई अन्य बीमारियां शरीर में घर बना लेती हैं।

कई बाबाओं ने लिया संकल्प
योग गुरु बाबा रामदेव की पहल पर निर्मोही अखाड़े के महंत राजेंद्र दास महाराज ने चिलम छोड़ने का संकल्प लिया। निर्मोही अखाड़ा वही अखाड़ा है जो शाही स्नान में सबसे पहले स्नान करता है। उसके बाद अखिल भारतीय पंच तेरा भाई त्यागी खालसा अखाड़ा त्यागियों की जमात में भगवतदास, तुलसीदास, लाल बाबा, मनोज दास ने सैकड़ों साधु-संन्यासियों को चिलम छोड़ने व नशा का सेवन बंद करने का संकल्प दिलवाया।

एक चिलम में उड़ता है 20 ग्राम गांजा
माना जाता है कि गांजा एकाग्रता बढ़ाता है। एक बार में चिलम पीने के लिए 20 ग्राम गांजा लगता है। सुबह से रात तक औसतन यदि एक व्यक्ति पांच बार भी चिलम पीता है, तो वह 100 ग्राम के करीब गांजा धुएं में उड़ा देता है। यदि इनके साथ अन्य लोग हों तो भी दिन भर में आधा किलो से ज्यादा गांजा खत्म हो जाता है।

इतना रुपया प्रतिदिन बर्बाद

50 से 60 रुपए तक है 20 ग्राम गांजा की कीमत

300 से 350 रुपए बैठती है 100 ग्राम गांजे की कीम