इस बात से कोई भी सिटी अछूती नहीं है। कहीं नक्सली पनाह ले रहे हैैं, तो कहीं क्रिमिनल्स कई दिनों तक रूक कर एरिया की रेकी कर घटना को अंजाम दे रहे हैं। अब स्टेट के पुलिस कप्तान भी इस तरह के क्राइम से अछूते नहीं हैं। उन्हें भी ई-मेल पर धमकी मिल रही है। ऐसे में पुलिस की लापरवाह वर्क कल्चर का फायदा तो क्रिमिनल्स को तो मिलना ही है। और इधर पुलिस बस अपनी दलीलें ही दिये जा रही है।
नहीं होता renter verification
सिटी में रेंटर वेरिफिकेशन कल्चर डेवलप नहीं हो सका है। इसका परिणाम है कि क्रिमिनल्स कहीं भी  किसी भी जगह रेंट पर आसानी से रूम अरेंज कर लेते हैं। मामले का खुलासा तब होता है जब कोई वारदात हो जाती है। सिटी में कई ऐसी वारदातें हो चुकी हैं, जिसमें यह बात सामने आयी है कि क्रिमिनल्स ने किराएदार बनकर पनाह ली थी, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। एसएसपी अखिलेश झा कहते हैं कि हमारे पास रेंटर वेरीफिकेशन का कोई नियम ही नहीं है। इस कारण उन्हें इस तरह की जांच करने में प्रॉब्लम होती है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर जांच के दौरान किसी ने नियम के बारे में पूछा तो उसका हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा। इस कारण सिटी में रेंटर का वेरीफिकेशन नहीं हो पा रहा है।
लुटेरों के gang ने ली थी पनाह
सिटी पुलिस ने गोलपहाड़ी से 15 युवकों के एक गैंग का भांडाफोड़ किया था। ये युवक ट्रेन में चोरी करने के साथ ही सिटी और आस-पास के एरिया में छिनतई व लूट जैसी वारदातों को अंजाम देते थे। इनके पकड़े जाने के बाद पुलिस को पता चला कि ये सभी परसुडीह में किराए के एक घर में रहते थे। हालांकि बाद में पुलिस ने लैंडलॉर्ड को भी अरेस्ट किया, लेकिन इस बात को इंश्योर नहीं किया कि आगे से इस तरह की चूक न हो। इस घटना के बावजूद रेंटर वेरीफिकेशन सिस्टम को बुस्टअप नहीं किया जा सका। वैसे होटल ऑनर्स इस बात को लेकर काफी कॉन्शियस हो गए हैं। उनका कहना है कि वे लोग रूल्स को पूरी तरह फॉलो करते हैं। बिना आईडी और एड्रेस प्रूफ के ये लोग किसी को भी होटल या लॉज में ठहरने नहीं देते।

हम बिना एड्रेस प्रूफ के अपने यहां किसी को इंट्री नहीं देते। इसके साथ ही लोकल एड्रेस प्रूफ पर भी इंट्री नहीं दी जाती है। जहां तक रेंटर वेरीफिकेशन की बात है तो यह काफी जरूरी है। आज के माहौल को देखते हुए बिना वेरीफिकेशन अलाउड तो करना ही नहीं चाहिए।
शौैकत अली, वेलकम लॉज, स्टेशन रोड

हमारे पास रेंटर वेरीफिकेशन का कोई प्रॉपर नियम नहीं है। हम कैसे जांच करें। बिना नियम जांच करने में परेशानी हो सकती है।
अखिलेश झा, एसएसपी, ईस्ट सिंहभूम