कहानी :

आजादी से पहले एक साधु वेश के डकैत की कहानी है।

रेटिंग : 3 स्टार

क्या है बढ़िया :

फिल्म का लुक और फील बहुत अच्छा है और इसी वजह से फिल्म माहौल बहुत ही अच्छा बना लेती है। रंगों और रोशनी का इस्तेमाल हो या फिर सेट और कॉस्ट्यूम बहुत ही इंटरेस्टिंग हैं। उसी तरह से फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी बहुत ही अच्छी है और इसी वजह से शुरुआत में ठीक से एंगेज कर पाती है। कैरेक्टर्स भी अच्छे सोचे गए हैं।

क्या है कमी :

कैरेक्टर्स तो अच्छे हैं पर उनकी कहानियां डल और बोर हैं। रायते की तरह प्लाट फैलता चला जाता है और इसको एन्ड तक कोई किरदार समेट नहीं पाता। फिल्म एक पॉइंट पे आके जबर कंफ्यूजिंग हो जाती है।

अदाकारी :

सैफ अली खान पहचान में ही नहीं आते, ये उनका अब तक का सबसे मुश्किल रोल था और वो उसमें घुस जाते हैं। जबरदस्त। वैसे ही दीपक डोबरियाल ने भी अपना किरदार ऐसा जिया है कि मुझे लगता है कि उनके किरदार पर एक पूरी सोलो फिल्म बननी चाहिए।

कुलमिलाकर जबरदस्त परफॉर्मन्स वाली एक वीक स्क्रिप्ट पर बनी एक टेक्निकली अच्छी फिल्म है लाल कप्तान। थोड़ी अतरंगी और बोर भी है पर सिर्फ अदाकारी देखने के लिए देख सकते हैं लाल कप्तान

बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 50 करोड़

Review by: Yohaann Bhaargava

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