नई दिल्ली, (पीटीआई)। श्रम मंत्रालय ने COVID -19 से लड़ने के लिए लॉकडाउन के मद्देनजर अपने 6 करोड़ से अधिक कर्मचारियों को उनके ईपीएफ खाते से 75 फीसदी रकम या तीन महीने का वेतन, जो भी कम हो निकालने की अनुमति दे दी है। श्रम मंत्रालय के एक कर्मचारी ने कहा कि मंत्रालय ने 28 मार्च, 2020 को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी कर दी है। कोविड 19 से लड़ने के लिए देश भर में चल रहे लॉकडाउन के कारण कर्मचारियो की परेशानी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

नहीं करनी होगी रकम वापस

खास बात ये है कि मंत्रालय के अनुसार अधिसूचना में गैर-वापसी योग्य निकासी, यानि जिस रकम को वापस नहीं करना होगा। ये घोषणा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए की गई है। अब कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड खाते से 75 फीसदी रकम या तीन महीने की सैलरी, जो भी राशि कम हो, की निकासी कर सकते हैं। इसके लिए ईपीएफओ के रेगुलेशन में भी बदलाव किया जाएगा।

नियमों में संशोधन

श्रम मंत्रालय के अनुसार COVID-19 को महामारी घोषित किया गया है और इसलिए पूरे भारत में प्रतिष्ठानों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी, जो इपीएफ योजना, 1952 के सदस्य हैं, गैर वापसी योग्य अग्रिम के लाभों के लिए पात्र हैं। ईपीएफ योजना, 1952 में पैरा 68एल के तहत एक उप-पैरा (3) डाला गया है। संशोधित कर्मचारी भविष्य निधि (संशोधन) योजना, 2020 28 मार्च से लागू हो गई है।

पहुंचेगी मदद

बताया गया है कि अधिसूचना के बाद, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने स्थिति से लड़ने में मदद करने के लिए सदस्यों से प्राप्त किसी भी आवेदन को तुरंत लागू करने के लिए अपने फील्ड कार्यालयों को निर्देश जारी किए हैं। ईपीएफओ ने कहा है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को तुरंत ईपीएफ ग्राहकों के दावों पर प्रतिक्रिया देनी होगी ताकि राहत मांग रहे इंप्लाई और उसके परिवार की कोविड -19 से लड़ने में मदद करने के लिए पहुंच सके।

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