-घर पहुंचने की टूटी आस, चेन्नई में फंसे सैकड़ों लोगों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताई पीड़ा

-सीएम से की गुजारिश, ट्रेन चलाने की मांग, सदर सांसद ने शुरू किया प्रयास

ट्रेन चलने की आस नहीं रही। इसलिए बस बुक किया गया। दो बसों में 30-30 लोगों के लिए अरेंजमेंट हुआ। चेन्नई में हमें बाहर जाने की अनुमति मिल गई। लेकिन ड्राइवर ने यह कहकर मना कर दिया कि यूपी में इंट्री का पास बने बिना हम किसी को नहीं ले जाएंगे। किराए का कमरा छोड़कर हम लोग सड़क पर आ गए। कमरे में मकान मालिक ने ताला लगा दिया। वहां लौट नहीं सकते और अपने घरों तक जाने का कोई प्रबंध नहीं है। सीएम योगी आदित्यनाथ से गुजारिश है कि किसी तरह से हम लोगों के गोरखपुर पहुंचने का बदोबस्त कर दें। एक-दो ट्रेन चेन्नई से भी गोरखपुर के लिए चलवा दें तो हमलोग भी अपने परिवार के बीच पहुंच जाएंगे। यह पीड़ा बयां करते हुए गोरखपुर के केसरी और उनके साथियों के गले रूंध गए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर से बातचीत के दौरान ऐसा लगा कि वह फफक कर रो पड़ेंगे। मदद की दिलासा देने पर उनके मुंह से सिर्फ एक बात ही निकली हम लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से काफी उम्मीद है। यह पीड़ा है चेन्नई में फंसे डेढ़ हजार से अधिक लोगों की है।

मुनासिब नहीं पैदल चलना

लॉकडाउन के कारण परदेस से लोगों का लौटना जारी है। देश के विभिन्न हिस्सों से ट्रेन चलाए जाने की सूचना पर लोग किराए के कमरों से निकल पड़ रहे हैं। स्टेशन पर जाकर पता चल रहा है कि हर किसी के लिए व्यवस्था नहीं है। ऐसी ही हालत चेन्नई में फंसे गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज सहित अन्य आसपास जिलों के डेढ़ हजार से अधिक लोगों की हो गई है। तीन दिन पूर्व लोगों ने कमरा छोड़ दिया। ट्रेन की उम्मीद पालकर स्टेशन पहुंचे तो लौटा दिया गया। किसी तरह से बस का इंतजाम किया। करीब 72 घंटे से लोग सड़क पर भटक रहे हैं। पीडि़त श्रमिकों का कहना है कि आखिर हम सड़क पर कितने दिनों तक रह सकते हैं। चेन्नई से गोरखपुर की दूरी काफी है। पैदल चलना भी मुनासिब नहीं है।

सांसद ने मांगी डिटेल, शुरू हुआ प्रयास

चेन्नई में फंसे लोगों ने बताया कि यूपी सरकार के जनसुनवाई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया गया। इसे पहले सांसद रवि किशन ने एक रजिस्ट्रेशन के लिए सोशल मीडिया पर लिंक उपलब्ध कराया था। उस पर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया गया। तैनात किए गए नोडल अफसरों के मोबाइल नंबर पर भी कोई संतोषजनक रिजल्ट नहीं मिला तो निराशा बढ़ती चली गई। श्रमिकों की पीड़ा आने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सांसद रवि किशन से संपर्क किया। उन्होंने तत्काल सभी लोगों की डिटेल मांगी। करीब 12 सौ लोगों के नाम, मोबाइल नंबर कलेक्ट करके सांसद ने समस्या के समाधान के लिए त्वरित प्रयास शुरू कर दिया।

लॉकडाउन शुरू हुआ तो इस बात की उम्मीद थी कि जल्द समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन धीरे-धीरे प्रॉब्लम बढ़ती चली गई। अब तो हिम्मत भी टूटने लगी है। आखिर हम लोग क्या कर सकते हैं।

मनोज सिंह, पीडि़त

जितने भी सरकारी मोबाइल नंबर, जन सूचना और अन्य लिंक जारी हुए थे। उन सभी पर ट्राई किया गया। लेकिन हम लोगों को कोई रिस्पांस नहीं मिला। कमरा छोड़ देने पर मकान मालिक वापस लेने को तैयार नहीं है। ना जाने सड़क पर कितने दिन गुजारने पड़ेंगे।

विनय कुमार, पीडि़त

रोजी-रोटी की तलाश में कुछ लोगों के साथ आए थे। यह पता नहीं था कि ऐसे दिन देखने पड़ेंगे। किसी तरह से घर लौटना चाहते हैं हमलोग, सीएम योगी अपने जिले के हैं। उनसे काफी उम्मीद है लेकिन अब भरोसा टूट रहा।

दयानाथ शर्मा, पीडि़त

चेन्नई सहित अन्य प्रदेशों में फंसे गोरखपुर के नागरिकों की वापसी के लिए प्रयासरत हूं। मुझे इन लोगों के बारे में भी जानकारी मिली है। देश के विभिन्न प्रदेशों में फंसे गोरखपुर के प्रवासी श्रमिकों को समुचित व्यवस्था देने का आग्रह संबंधित प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किया गया है।

रवि किशन, सांसद, गोरखपुर