-एनजीओ के सहारे ठिठुरन से बचाएगा जेल प्रशासन

-जेल प्रशासन ने दो हजार कंबल की डिमांड भेजी

GORAKHPUR: मंडलीय कारागार में निरुद्ध बंदियों के लिए जाड़े की रात दुख दे रही है। कंबल की कमी से बंदी रातभर ठिठुर रहे हैं। ठंड में गर्म ओढ़ने-बिछौने के अभाव से बंदी घर वालों की मदद पहुंचने की बाट जोह रहे हैं। यदि समय रहते जेल प्रशासन कंबल की व्यवस्था नहीं कर पाया तो बंदियों को घर का आसरा होगा। जेल अधिकारियों का कहना है कि बंदियों के लिए शासन को पहले ही पत्र लिख दिया गया था। जल्द कंबल की खेप पहुंच जाएगी।

ठंड बढ़ते ही कांपने लगे बंदी

मंडलीय कारागार में हर साल बंदियों को कंबल की कमी से जूझना पड़ता है। ठंड के परवान चढ़ने पर जेल प्रशासन बंदियों के लिए कंबल के इंतजाम में लगता है। इसलिए बंदियों को अपने-अपने घर से कंबल मंगाना पड़ता है। पिछले साल कंबल की कमी होने पर बंदियों ने अपना इंतजाम खुद कर लिया था। तब तय हुआ था कि इस बार मौसम बदलने के पहले सारा इंतजाम कर लिया जाएगा। लेकिन शासन से कंबल मंगाने में जेल अधिकारियों के पसीने छूट गए हैं।

साढ़े आठ सौ दरी मिली, कंबल का इंतजार

जेल अधिकारियों का कहना है कि महिला और पुरुष बंदियों के लिए दो हजार कंबल डिमांड शासन को भेजी गई थी। इस बार मांग पूरी होने की उम्मीद जेल अधिकारी जता रहे हैं। मंगलवार को कैदियों के लिए 850 दरी मिल गई है। जिसे बंदियों को उपलब्ध कराने की तैयारी हो चुकी है। इसके अलावा एनजीओ की मदद से कंबल मुहैया कराने के दावे भी अधिकारी कर रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में बनी जेल में 822 लोगों को रखने करने की क्षमता है। वर्तमान में 19 सौ बंदी विभिन्न मामलों में निरुद्ध किए गए हैं।

बैंक अधिकारी ने बंदियों को दी जानकारी

जेल से जमानत पर छूटकर बंदी अपना रोजगार शुरू कर सकेंगे। बंदियों की मदद के लिए बैंक कर्ज देंगे। मंगलवार को जेल में करीब दो सौ बंदियों ने रोजगार के लिए बैंक से मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ली। गोष्ठी का आयोजन कर उनको पुनर्वास के लिए आर्थिक मदद से संबंधित योजनाओं से अवगत कराया गया। पुर्नस्थापना योजना के तहत बंदी कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। इसके लिए उनको बैंक लोन भी दे देगा। यूको बैंक के चीफ मैनेजर पीके शर्मा सहित बैंक के कई अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान टेलरिंग शॉप खोलने, फर्नीचर का व्यवसाय शुरू करने, सब्जी और फल उत्पादन से संबंधित योजनाओं से संबंधी बंदियों की जिज्ञासा को शांत ि1कया गया।

वर्जन

बंदियों के लिए दो हजार कंबल की डिमांड शासन को भेजी गई है। बिछाने के लिए कालीन की व्यवस्था हो गई है। एनजीओ की मदद से भी कंबल का वितरण कराया जाएगा।

प्रेम सागर शुक्ला, जेलर