-आप को बीमारी है तो न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और गैस्ट्रोलॉजी के डॉक्टर्स नहीं

GORAKHPUR: आप को यदि बीमारी है तो जिला अस्पताल में न्यूरोलॉजी डॉक्टर्स नहीं है। सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं करोड़ों रुपये इलाज में पानी की तरह बहा रही है लेकिन फिर भी चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। सिटी में पेट, न्यूरो और किडनी से संबंधित अति गंभीर मरीज सरकारी अस्पताल आते हैं लेकिन उनका यहां इलाज हो पाना संभव नहीं है। क्योंकि यहां न्यूरोलॉजिस्ट के अलावा कोई पोस्ट ही नहीं है। इतना ही नहीं यह पोस्ट काफी समय से रिक्त पड़ी है। इस दशा में मरीजों को बाहर का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। न्यूरोलॉजी छोड़कर नेफ्रोलॉजिस्ट और गैस्ट्रोलॉजिस्ट का पोस्ट नहीं है। वहीं मेडिकल कॉलेज में भी गैस्ट्रोलॉजी विशेषज्ञ नहीं हैं।

न्यूरोलॉजिस्ट का पद खाली

जिला अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट का पद है लेकिन पद काफी समय से रिक्त चल रहा है। पूर्वाचल में न्यूरो, नेफ्रो, गैस्ट्रो से ग्रसित मरीजों की सर्वाधित संख्या है। इस बीमारी से पीडि़त मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं लेकिन विशेषज्ञ न होने की वजह से उन्हें मजबूरन निजी अस्पतालों का सहारा लेना होता है।

32 डॉक्टर के भरोसे अस्पताल

सुभाष चंद्र बोस चिकित्सालय में इन विशेषज्ञों को छोड़ दिया जाए तो वर्तमान में फीजिशियन चार, चेस्ट फिजिशियन दो, कार्डियोलॉजिस्ट एक, मानसिक रोग विशेषज्ञ एक, बाल रोग विशेषज्ञ चार, जनरल सर्जन दो, आर्थो सर्जन दो, स्कीन विशेषज्ञ एक, डेंटल एक, ईएनटी एक, आई सर्जन तीन, एनेस्थिसिया एक है। साथ ही पैथोलॉजिस्ट तीन और रेडियोलॉजिस्ट तीन हैं।

एक और अस्पताल की जरूरत

जिला और महिला अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का हैं। गोरखपुर की जनसंख्या अधिक होने के बावजूद सरकारी अस्पताल कम हैं। इस दशा में यहां अस्पताल और डॉक्टर्स की भारी कमी है। तरह-तरह की नयी बीमारियों की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है। फिलहाल व्यवस्था और विशेषज्ञों की कमी के चलते इलाज के लिए मरीजों को बनारस, लखनऊ और दिल्ली की तरफ रूख करना पड़ता है।

वर्जन

अस्पताल में डॉक्टर्स के पद काफी समय से रिक्त चल रहे हैं। शासन से डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने के लिए बराबर मांग की जा रही है।

डॉ। राजकुमार, एसआईसी जिला अस्पताल