- दून हॉस्पिटल में पुराने हो चुके हैं ऑपरेशन के इ1िवपमेंट्स

- लेप्रोस्कोपी मशीन का इस्तेमाल भी अब खतरे से खाली नहीं

- दूरबीन से ऑपरेशन में काम आने वाली मशीन बार-बार दे रही धो2ा

DEHRADUN: 50 वर्षीय सरोजनी देवी (काल्पनिक नामम) के पेट में कई दिनों से दर्द था। वह जांच कराने के लिए दून मेडिकल हॉस्पिटल पहुंची, डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसके गॉल ब्लैडर में स्टोन है। डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने का फैसला लिया। ऑपरेशन की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, मरीज ओटी में दाखिल हो चुका था। लेकिन, सर्जन्स ने जब लेप्रोस्कोपी सेट चालू किया तो वह जवाब दे गया। काफी कोशिश के बाद जब एक्विपमेंट्स ने काम नहीं किया तो पेशेंट का ऑपरेशन कैंसिल करना पड़ा।

पहले भी हो चुके ऐसे केस

सरोजनी देवी पहली मरीज नहीं हैं, जिनके ऑपरेशन में लेप्रोस्कोपी मशीन बाधा बनी है। इससे पहले भी कुछ मरीजों के सामने ऐसी स्थिति आ चुकी है। इससे मरीजों के साथ ही डॉक्टरों और ओटी के मरीजों की परेशानी भी बढ़ जाती है।

मशीन का इन्फेसलेटर है खराब

सूत्रों के अनुसार लेप्रोस्कोपी सेट काफी पुराना हो चुका है। उसके पुर्जो में आमतौर पर खराबी आती रहती है, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत मशीन के इन्फेसलेटर से आती है। इन्फेसलेटर कभी भी खराब हो जाता है, इससे कई ऑपरेशन टालने पड़ते हैं।

खतरे की भी आशंका

बताया जाता है कि इन्फेसटर में आने वाली यह खराबी बड़ी समस्या भी पैदा कर सकती है। इस मशीन से ऑपरेशन करने में अब काफी रिस्क रहता है, लेकिन फिर भी इस मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जाता है कि मशीन की खराबी के कारण पिछले दो महीने में ऑपरेशन करने में काफी मुश्किलें सामने आ रही हैं।

छोटे उपकरण भी बेकार

अस्पताल के सूत्रों के अनुसार सभी ओटी में ऑपरेशन में काम आने वाले छोटे उपकरण भी लगभग बेकार हो चुके हैं। कैंची, चिमटी और इसी तरह के अन्य उपकरणों से 50 तक ऑपरेशन ही किए जा सकते हैं, लेकिन दून अस्पताल की ओटी में फिलहाल जो छोटे उपकरण हैं, वे हजार से ज्यादा ऑपरेशनों के इस्तेमाल किये जा चुके हैं। अब इनसे ऑपरेशन करने में दिक्कतें हो रही हैं।

डायलिसिस मशीन भी खराब

अस्पताल की एक डायलिसिस मशीन पिछले एक साल में भी दुरुस्त नहीं हो पाई है। अस्पताल में फिलहाल दो डायलिसिस मशीनें ही काम कर रही हैं, यहां ओपीडी टाइम में ही डायलिसिस होता है, जिससे एक दिन में दो मरीजों की डायलिसिस हो पाता है। सूत्रों के अनुसार तीसरी खराब मशीन में मामूली सी दिक्कत है, लेकिन एक साल से उसे ठीक नहीं किया जा सका है।

मेरे हाथ में कुछ नहीं

अस्पताल के एमएस डॉ केके टम्टा से अस्पताल में मशीनों की स्थिति में बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है। इस तरह के सवाल आपको सीधे प्रिंसिपल से पूछने चाहिए।

लेप्रोस्कोपी मशीन में खराबी की बात मेरे संज्ञान में नहीं है। अब तक किसी ने मुझसे शिकायत नहीं की है। मेरे संज्ञान में ये बात आई है तो मैं इस बारे में पता करता हूं। यदि मशीन खराब है तो उसे ठीक करवाया जाएगा।

डॉ पी भारती गुप्ता, प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज।