RANCHI: कोरोना के साथ चल रही जंग में महिला वॉरियर्स की भूमिका दिनों दिन अहम होती जा रही है। पुलिसकर्मी अपना घर-परिवार छोड़कर लगातार काम कर रहे हैं। ऐसे में रांची की महिला पुलिस भी अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं। ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बनाकर ये काम करती नजर आ रही हैं। इस जंग में कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए मैदान में हैं। पुरुष प्रधान समाज में महिला पुलिसकर्मी भी लगातार अपना फर्ज निभाकर पुरुषों को चुनौती दे रही हैं।

पहले फर्ज, बाद में घर

कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाने के लिए इन दिनों महिला पुलिसकर्मी भी रांची के विभिन्न चौराहों पर कड़ी धूप में ड्यूटी करती नजर आ रही हैं। ड्यूटी के चलते कई महिला पुलिसकर्मियों के बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी उनके सास-ससुर, पति या फिर नाना-नानी के जिम्मे आ गई है, तो कइयों की दिनचर्या ही बदल गई है। घर का जरूरी काम निपटाकर कई महिला पुलिसकर्मी समय पर ड्यूटी करने पहुंच जाती हैं।

कई दिनों से नहीं गई घर

सच मानें तो महिला पुलिसकर्मी इन दिनों दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं। ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बैठाना हमेशा से महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक चुनौती रहा है। लेकिन इस संक्रमण के दौरान यह चुनौती और बढ़ गई है। खासकर उन महिला पुलिसकर्मियों के लिए जिनके बच्चे रोज उनके आने की राह देखते हैं और मां को गले लगाना चाहते हैं। लेकिन अब वो चाहकर भी अपने बच्चे को गले लगाकर उन्हें प्यार नहीं कर सकती हैं। यहां तक कि उन्हें अपनी आंखों के तारे को आंखों से ही दूर करना पड़ा है, फिर भी वह बिना किसी शिकन के दिन रात ड्यूटी निभा रही हैं।

व्हाट्सएप कॉल ही सहारा

रांची के लालपुर थाने में तैनात कांस्टेबल नीलम और पुष्पा लगातार ड्यूटी कर रही हैं। जहां पुष्पा हर रोज अपने घर लौट जाती हैं और दूर से ही अपने बच्चों से मिल लेती हैं। लेकिन नीलम पिछले 5 महीनों से घर नहीं गई हैं, उनके बच्चे उनसे दूर नाना-नानी के पास रहते हैं। इस संक्रमण काल में वीडियो कॉल नीलम का सहारा बना हुआ है। नीलम हर रोज मौका मिलते ही अपने बच्चों से वीडियो कॉल के जरिए बात करती हैं। इस दौरान कई बार उनकी आंखों से आंसू भी निकल आते हैं। लेकिन फिर यह सोच कर अपने आप को मजबूत बना लेती हैं कि वह फिलहाल अपने देश की सेवा में जुटी हुई हैं। उनका इस समय मुख्य काम लोगों को संक्रमण से बचाना है। नीलम कहती हैं कि उनके बच्चों की फिलहाल ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं। बच्चे जिद करते हैं कि मां 5 महीने से उनसे नहीं मिली है, वो घर आ जाए।

सुरक्षा का पूरा इंतजाम

राजधानी रांची के कई थानों में ऐसी महिला पुलिसकर्मी भी हैं जो लॉकडाउन के शुरुआत से लेकर अब तक अपने बच्चों से नहीं मिली हैं। रांची के लालपुर थाने सहित दूसरे कई थानों में तैनात महिला पुलिसकर्मी भी संक्रमण को देखते हुए अपने बच्चों और परिवार से दूर हैं। लालपुर थाने की 5 महिला कांस्टेबल पूरे लॉकडाउन के दौरान अपने घर नहीं गई हैं। लालपुर थाना प्रभारी अरविंद सिंह बताते हैं कि अभी सभी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी जिम्मेवारी भरी है। ऐसे में जो महिला पुलिसकर्मी अपने घर नहीं जा रही हैं, उनके रहने खाने और सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है।

रांची में 200 से अधिक लेडी कांस्टेबल

रांची में फिलहाल 200 से अधिक महिला पुलिसकर्मी लॉकडाउन के दौरान अपना फर्ज निभा रही हैं। कई थानों में काम कर रही हैं, कई कंट्रोल रूम में तो कई तेज धूप में चौक-चौराहों पर भी तैनात हैं। कठिन हालात में भी इनके चेहरे पर जरा-सी शिकन तक नजर नहीं आती है। बच्चे और परिवार की दूरी भी इन महिला पुलिस वॉरियर्स को इनके फर्ज से डिगा नहीं पाते हैं। सभी बस उस दिन का इंतजार कर रही हैं, जब कोरोना का संक्रमण खत्म हो और वे अपने परिवार के बीच पहुंचे और अपने बच्चों को गले लगाकर उन्हें खूब सारा प्यार दें।

वॉरियर्स जो हैं मुस्तैद

तीन थाना, 18 घन्टे काम

पाकुड़ की रहने वाली रोजलिना हांसदा पंडरा थाना में सब इंस्पेक्टर के पोस्ट पर हैं। इनके जिम्मे हिंदपीढ़ी, डेली मार्केट और पंडरा ओपी के घरेलू हिंसा से जुड़े मामले हैं। लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के ही आ रहे हैं, जिसके कारण रोजलीना को 18 घंटे काम करना पड़ता है। महज 6 घंटों के आराम में पिछले 3 महीने से यह ड्यूटी पर मुस्तैद है। पाकुड़ की रहने वाली रोजलीना की 11 साल की 1 बेटी है। बहन की मृत्यु पर मार्च में घर गयी थी। इनके घर पर बुजुर्ग बीमार मां और इनकी बेटी रहती हैं। बुजुर्ग मां और 11 साल की बेटी को रोजलीना का इंतज़ार है।

22 साल में पहली बार मांगकर पी रही पानी

सजनी मरांडीट्रैफिक पुलिस 1998 बैच। यह दुमका की रहने वाली हैं और इनकी 2 बेटियां हैं। फरवरी में यह लास्ट अपने घर जा पायी थीं। यह चेहरा काफी पुराना है और इन्हें कई लोग जानते होंगे। कभी ट्रैफिक नियम तोड़ने पर इनके 1-2 डंडे भी लोगों ने खाए होंगे। अभी इनकी ड्यूटी दुर्गा मंदिर के पास है, जहां ढंग का पोस्ट तक नहीं। तेज धूप में दिनभर सड़क पर तपती हैं लेकिन कभी-कभी हो रही इस बरसात में बहुत दिक्कत हो रही है। यह बताती हैं कि 22 साल में पहली बार पीने का पानी मांग कर पी रही हैं। घर से लेकर आया पानी खत्म होने पर पानी की बहुत दिक्कत होती है।

पुलिस वालों के बच्चे भी फंसे हैं लाकडाउन में

एतमनी लकड़ा, मुंशी सुखदेवनगर, 2011 बैच। लोहरदगा की रहने वाली एतमनी की 1 बेटी और 2 बेटे हैं। ये तीन माह पहले फरवरी में घर जा पाए थीं। लॉकडाउन में इनके दोनों बेटे एक 10 साल दूसरा 9 साल का लोहरदगा में फंस गया है। दोनों बेटे हरमू रोड के भारत माता चौक में एक स्कूल में पढ़ते हैं। एतमनी बताती हैं कि लॉकडाउन में पुलिस वालों के बच्चे भी फंसते हैं। उन्हें भी अपने बेटों की बहुत याद आ रही हैं।

महिला पुलिसकर्मियों पर गर्व: एसएसपी

रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता भी महिला पुलिसकर्मियों पर गर्व महसूस करते हैं। सीनियर एसपी अनीश गुप्ता के अनुसार, लॉकडाउन का पालन करवाने में जितना योगदान पुरुष पुलिसकर्मियों का है, उतना ही महिला पुलिसकर्मियों का भी है।