मुंबई (मिडडे)। "जब गदर और लगान एक ही दिन रिलीज होकर सुपर हिट साबित हो सकती हैं, तो कोई भी फिल्में साथ में रिलीज हो सकती हैं।' ये वो बयान है, जो फिल्म इंडस्ट्री में काफी चर्चित हैं। मगर हर फिल्म 'लगान' और 'गदर' नहीं होती। आशुतोष गोवारिकर और अनिल शर्मा की फिल्में, जो आज दो शानदार दशक पूरे कर रही हैं, उनमें काफी समानता है। वे दोनों ऐतिहासिक गाथाएं हैं, वे दोनों परिस्थितियों से चुनौती वाले लोगों की दास्तां सुनाती हैं। वे दोनों अपने अधिकार के लिए लड़ते हैं, और बड़े विरोधियों का साहस के साथ सामना करते हैं।

दोनों फिल्मों में है ये समानता
दोनों फिल्मों की समानता की बात करें तो उनके फैसलों को सबसे पहले अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है। हमें लगने लगता है कि हमारा हीरो हार जाएगा। लेकिन जैसा कि हिंदी सिनेमा में होता है, यहां नायक लड़कर जीतता है। लगान का भुवन (आमिर खान) और गदर का तारा सिंह (सनी देओल) दोनों अकेले चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे उनकी यात्रा आगे बढ़ती है, उनको सपोर्ट मिलता जाता है और लड़ने की ताकत दोगुनी हो जाती है।

नायक की लड़ाई
इन फिल्मों में भारत के ब्रिटिश और पड़ोसी देश पाकिस्तान दोनों के साथ तनावपूर्ण और जटिल संबंध दर्शाए गए। 'लगान' में, एक अहंकारी, कपटी कप्तान रसेल क्रिकेट के खेल को लेकर अपने झूठे गर्व और चंपानेर के ग्रामीणों के भाग्य को खतरे में डाल देता है। भुवन मैच खेलने को राजी हो जाता है, बाकी लोग उसे गुस्से और नाराजगी से देखते हैं। 'गदर' में, तारा और सकीना (अमीषा पटेल) को भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक युग, विभाजन के दौरान प्यार हो जाता है। इस प्रेम कहानी को दोनों देशों से नफरत मिलती है। जब सकीना को वापस पाकिस्तान ले जाया जाता है, तो तारा उसे वापस लाने के लिए एक कठिन यात्रा करता है। इस फिल्म में असली संघर्ष धर्म है, और अनिल शर्मा, जबरदस्त पंचलाइनों की मदद से, दर्शकों के दिल तक पहुंच जाते हैं।

सबसे बड़ी हिट फिल्में
यह देश की अब तक की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई। दोनों फिल्मों के गाने, कहानी और एक्टिंग जबरदस्त थी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसने अधिक पैसा कमाया, इन दोनों ब्लॉकबस्टर्स ने इतिहास रच दिया। हमारे देश में क्रिकेट जो खुद किसी धर्म से कम नहीं और देशभक्ति से जुड़ा कुछ भी दर्शकों को पसंद आ जाता है।

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