- 27 को लालू और नीतीश दोनों का अलग-अलग है बड़ा कार्यक्रम

- सेंसेक्स की जाति रिपोर्ट से सबसे ज्यादा फायदा लालू को होगा, इसलिए एग्रेसिव हैं लालू

-लालू 27 को कराएंगे बिहार बंद, उसी दिन सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे नीतीश

PATNA: लालू प्रसाद और नीतीश कुमार वर्षो तक दो ध्रुव रहे, लेकिन अब दोनों साथ हैं। दोनों मजबूर हैं। मजबूर दुश्मन, दोस्त बन गए हैं। अब बाकी दुश्मनों से लड़ेंगे। नीतीश कुमार को चारा घोटाले में जेल तक पहुंचाने का आरोप भी लगा नीतीश कुमार पर। ललन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई तक की अर्जी दी थी। लालू जेल गए। जब ललन सिंह मुंगेर से चुनाव हार गए, तब नीतीश कुमार ने ललन सिंह को समाजसेवी बताते हुए गवर्नर कोटे से विधान परिषद् भिजवाया और फिर मंत्री भी बनवाया। मांझी जैसे सीएम बने ये रिकोमेंडेंशन भेजी गई थी गवर्नर को। ऐसी दुश्मनी जब लालू- नीतीश के बीच रही तो अंदर-अंदर साफ दिल कैसे होगा। नीतीश कुमार के पोस्टर पर लालू प्रसाद दिख भी नहीं रहे हैं। मंच पर भले दोनों साथ दिखते हैं। सजायाफ्ता को शायद पोस्टर पर जगह नहीं देना चाहते नीतीश कुमार।

लालू उनके बच्चे और बेचारी भैसें

जब नीतीश कुमार को बिहार के सीएम पद के लिए नेता घोषित करने की बात हो रही थी, जिसकी घोषणा मुलायम सिंह यादव ने की थी तब लालू प्रसाद ने कहा भी था वे जहर का घूंट पी लेंगे। लालू प्रसाद खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए ही उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच कड़ा बयान दिया कि उनके बच्चे चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो क्या भैंस चरायेंगे? अपनी बेटी मीसा भारती को लालू प्रसाद पहले ही लोकसभा चुनाव लड़वा चुके हैं। लालू के चेहेते रामकृपाल यादव ने बागी हो बीजेपी का दामन थाम मीसा भारती को हरा दिया था। आरजेडी नेता रामानुज को एमएलसी बनाना था लेकिन उनकी जगह राबड़ी देवी को विधान परिषद् भेजा गया। चहेते भोला यादव को भी एमएलसी बनाया लालू ने। तो लालू अपनी पार्टी को खड़ा करने में लगे हैं।

लालू और सेंसेक्स में जात

लालू प्रसाद सेंसेक्स के जाति आंकड़े को सामने लाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर वे नीतीश कुमार से ज्यादा अग्रेसिव दिख रहे हैं। लालू प्रसाद ख्7 जुलाई को इसको लेकर बिहार बंद भी कराएंगे। ख्म् जुलाई को गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के पास उपवास भी करेंगे। लालू प्रसाद को उम्मीद है कि जातीय आंकड़े सामने आए तो उनकी यादव जाति की बड़ी संख्या सामने आएगी। इससे वे नीतीश कुमार पर भी टिकट बंटवारे के सवाल पर दबाव बना सकेंगे। लालू प्रसाद जातीय आंकड़ों को चुनाव के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं ये साफ है। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद की इस मांग में साथ हैं। उनकी दोस्ती भी यही कहती है कि वे साथ हैं, ये नहीं भी हो तो साथ-साथ होने की बात कहें। नरेन्द्र मोदी से दोनों को खतरा है। इतने खतरे के बाद भी विलय कर महागठबंधन की प्रक्रिया पूरी नहीं ही हो सकी। अंदरूनी टकराहट इतनी है।

नीतीश कुमार और रिपोर्ट कार्ड

ये महज संयोग नहीं है कि जिस दिन लालू प्रसाद सेंसेक्स के जातीय आंकड़ों को सामने करने की मांग के साथ बिहार बंद कराएंगे उसी ख्7 जुलाई को सीएम नीतीश कुमार अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। सवाल ये है नीतीश कुमार ने रिपोर्ट कार्ड जारी करने के लिए ख्7 की तारीख क्यों तय की? या फिर लालू प्रसाद ने बिहार बंद की तारीख क्यों नहीं बदल ली। ये साफ है कई मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच अंदरूनी खींचतान है। लालू और नीतीश दोनों जब एक कार्यक्रम में होते हैं तो लालू ही छा जाते हैं। इसकी वजह लालू का गंवई अंदाज भी है।

हाईटेक नीतीश और गंवई लालू

नीतीश कुमार, नरेन्द्र मोदी की तरह हाईटेक चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने नरेन्द्र मोदी के प्रोफेशनल प्रचारक प्रशांत को भी अपने साथ ले लिया। प्रशांत की पूरी टीम नीतीश को हाईटेक नीतीश के रूप में होर्डिग से लेकर सोशल साइट्स पर प्रोजेक्ट करने में लगी है। नीतीश कुमार कई जगहों पर रंगीन चेहरों वाले नीतीश नजर आ रहे हैं। ऐसे में जब लालू प्रसाद ने ये कहा कि नरेन्द्र मोदी के हाईटेक रथ का जवाब वे टमटम से देंगे तो उन्होंने नरेन्द्र मोदी सहित नीतीश कुमार को भी जैसे निशाने पर ले लिया है।

साथ मिलकर लड़ेंगे, पर मिलकर कार्यक्रम नहीं बनाएंगे

लालू और नीतीश मिलकर एनडीए को मजा चखाने का मिजाज बनाए हुए हैं। लेकिन दोनों अपने-अपने मुद्दों के साथ कार्यक्रम बना रहे हैं। यानी दोनों अपनी-अपनी पार्टी को ताकतवार बनाने में लगे हैं। यानी दोनों एक दूसरे को ताकत का अहसास कराने में भी लगे हैं। ये अंदर की बात है।