रांची : डोरंडा कोषागार से अवैध रूप से निकासी के मामले में बुधवार को लालू प्रसाद करीब पौने दो घंटे तक सीबीआइ अदालत में रहे। बयान दर्ज कराने के बाद निकलते समय लालू प्रसाद ने सीबीआइ के विशेष जज एसके शशि से हाथ जोड़ कर विनती की, कहा हुजूर, दुर्भावना से ग्रसित होकर मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। गवाह कुछ और कहता है दस्तावेज कुछ और बयां करते हैं। दोनों में कोई मेल ही नहीं है। बस आपसे इतना ही आग्रह है कि फैसला सुनाने से पहले पूरी फाइल जरूर पढ़ लीजिएगा। इस पर विशेष जज एसके शशि ने आश्वस्त किया कि पूरे दस्तावेज पढ़ने के बाद ही फैसला सुनाएंगे। इसके बाद लालू प्रसाद रिम्स के लिए निकल गए।

10 रुपये भी कोई नहीं देगा

बयान दर्ज कराने के समय लालू प्रसाद से 34 सवाल पूछे गए। जब उनसे आरके राणा के माध्यम से 10 करोड़ रुपये लेने का सवाल पूछा तो इसका उन्होंने चुटीले अंदाज में जवाब दिया। कहा कि जज साहब नियम कानून ऐसा टाइट है कि कोई ट्रेजरी अधिकारी 10 रुपया भी नहीं देगा। करोड़ों रुपये कौन देगा। अंत में सिर्फ यही कहा कि सीबीआइ ने षड्यंत्र के तहत फंसाया है।

बयान देते समय थरथरा रहे थे लालू

अभियोजन पक्ष के अधिकतर सवालों का लालू प्रसाद ने बैठे ही जवाब दिया। तीन-चार सवालों के जवाब उन्होंने खड़े होकर दिये। जवाब देते समय उनके पांव थरथरा रहे थे। वे ठीक से खड़े नहीं हो पा रहे थे। उनके चेहरे पर बेचैनी साफ तौर पर देखी जा सकती थी। हालांकि, दो घंटे के दौरान उन्होंने किसी प्रकार की दवा नहीं ली।

सीबीआइ ने पेश किए 575 गवाह

डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये अवैध निकासी मामले में 11 मार्च 1996 को सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की थी। बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद व पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद आरके राणा, ध्रुव भगत, तत्कालीन पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद, डोरंडा कोषागार के तत्कालीन लेखापाल बुचुन लाल सहित 170 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 2001 में अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया गया। वहीं, सितंबर 2005 में 142 आरोपितों के खिलाफ आरोप गठन किया गया।

सुनवाई के दौरान 43 आरोपितों की मौत, बचे 111

प्राथमिकी 170 आरोपितों पर की गई थी। इसमें सुनवाई के दौरान 43 अभियुक्तों की मौत हो गई। दो आरोपितों ने अपराध स्वीकार कर लिया। सात आरोपित सरकारी गवाह बन गए। पांच फरार हो गए। जबकि एक आरोपित डॉ शिव नंदन प्रसाद के बीमार होने के कारण उनका मामला अलग कर दिया गया। इस तरह अब कुल 111 आरोपित ट्रायल फेस कर रहे हैं।