मुंशी प्रेम चंद्र महोत्सव में अव्यवस्थाओं का रहा बोलबाला

समाज को आइना दिखाने वाले प्रेमचंद्र को भूल रही सरकार

भारत सरकार बड़े-बड़े महापुरुषों की प्रतिमा खड़ी करने के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, लेकिन कलम की जोर से समाज को आईना दिखाने वाले महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र को भूल गई है। स्मार्ट होते बनारस में प्रेमचंद्र के गांव लमही की हालत जस की तस है। मुंशी जी की 140वीं जयंती के अवसर पर संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन की ओर से भले ही यहां लमही महोत्सव मनाया जा रहा हो, लेकिन हालात देखकर लग रहे हैं, जैसे जिला प्रशासन महोत्सव का सिर्फ कोरम पूरा कर रहा है। मंगलवार से शुरू हुए महोत्सव में मुंशी जी के उपन्यासों पर नाट्य मंचन कर रहे कलाकारों को न पानी मिल रहा है और न हवा। उन्हे भीषण गर्मी में ही मंचन करना पड़ रहा है।

पानी न मिलने से हालत खराब

किसी भी चीज का प्रॉपर इंतजाम न होने से यहां आने वालों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मुंशी जी के स्मारक स्थल में हो रहे कार्यक्रम में बैठे सैकड़ो लोगों के लिए आवश्यकतानुसार पंखे भी नहीं लगाए गए हैं। अलग-अलग स्कूलों से परफार्म करने आए बच्चों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है। दूर-दराज से आए छात्र-छात्राओं की पानी न मिलने से तबीयत बिगड़ने की स्थिति आ गई थी।

सड़क को नहीं कर पाए ठीक

लमही गांव में सीवर कार्य के चलते पूरी सड़क खराब हो चुकी है। महोत्सव का समय नजदीक आने के बाद भी जिला प्रशासन ने सड़क को ठीक कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसका नतीजा ये रहा कि महोत्सव में आने वालों खासकर डीएम, कमिश्नर को भी पथरीले रास्ते से ही होकर गुजरना पड़ा।

खत्म हो रही प्रासंगिकता

लमही गांव के लोगों की मानें तो लमही महोत्सव कुछ साल पहले तक भव्य तरीके से मनाया जाता था। महोत्सव कराने की जिम्मेदारी जब से जिला प्रशासन ने ली है, तब से यहां आने वालों की संख्या कम होती जा रही है। पहले दिन मात्र 30 से 40 लोग पहुंचे तो दूसरे दिन 100 लोग भी इकट्ठा नहीं हो पाए।

कमिश्नर ने किया उद्घाटन

महोत्सव के दूसरे दिन लमही में प्रेमचंद्र की कई रचनाओं का नाट्य मंचन किया गया। उद्घाटन कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर व उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान काशी के वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी मौजूद रहे। कमिश्नर ने साहित्यकारों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के सभी पाठकों- प्रशंसको के लिये इस स्थान को साहित्यिक तीर्थ स्थल के रूप मे विकसित किया जाना ही उनकी स्मृति के प्रति सच्ची सेवा होगी।

डीएम ने लमही को लिया गोद

महोत्सव में पहुंचे डीएम सुरेंद्र सिंह ने लमही गांव को गोद लेने की घोषणा करते हुए कहा कि इस गांव को शहरीकरण से बचाना होगा। यहां हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराना ही हमारा संकल्प है, जिससे हर आने वाला अतिथि इस गांव के मूल स्वरूप के दर्शन के साथ मुंशी जी की जीवन शैली का भी स्मरण कर सके। उन्होंने आह्वान किया कि जो साहित्यकार भारतीय संस्कृति में आस्था रखते हैं अपने सुझाव और योगदान दें।