- फेमस स्कूल संचालक से गोदाम लेकर कर रहे थे शराब का कारोबार

- संतकबीर नगर जिले में पकड़ा गया मामला, अलर्ट हुई पुलिस

GORAKHPUR: शहर के भीतर यदि किराएदार को मकान, गोदाम या दुकान देते हैं तो इसकी पूरी जांच परख कर लीजिए। किराएदार की किसी तरह की गड़बड़ी के लिए लैंडलॉर्ड को सीधे तौर पर जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। शहर में कई स्कूलों के संचालक के गोदाम में शराब पकड़े जाने के बाद से पुलिस सख्ती बरतने के मूड में आ गई है। स्कूल प्रबंधक के नाम का बोर्ड लगाकर अवैध कारोबारी हरियाणा से बिहार तक शराब का कारोबार करते रहे। संतकबीर नगर से सबक लेते हुए शहर में भी जवाबदेही तय की जाएगी।

गोदाम में मिली थी लाखों की अवैध शराब

शहर में कई स्कूल संचालित करने वाले एक स्कूल प्रबंधक के नाम से खलीलाबाद में गोदाम है। हरियाणा के हिसार के रहने वाले सुरेंद्र सोनी ने गोदाम को किराए पर ले रखा था। गोदाम से अवैध शराब बिहार भेजने की सूचना पर एसपी ब्रजेश सिंह ने कार्रवाई का निर्देश दिया। पुलिस टीम ने छापेमारी की तो करीब 50 लाख रुपए की अवैध शराब बरामद हुई। सुरेंद्र ने पुलिस को बताया कि कोड वर्ड के जरिए ड्राइवर गाड़ी बदलकर शराब की खेप बिहार पहुंचाते थे। गाड़ी बदलने के लिए रास्ते में ड्राइवर को बताया जाता था। सरगना सहित पांच लोगों को गिरफ्तार करके पुलिस टीम ने जांच शुरू की तो सामने आया कि स्कूल संचालक ने किराए पर गोदाम दे रखा था। वहां पर उनके नाम का बोर्ड भी लगा पाया गया। सीधे तौर पर पुलिस ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन गोदाम किराए पर उठाने को लेकर उनसे भी पूछताछ की जा रही है। इस घटना में उन्होंने खुद को बेकसूर बताया। हालांकि उनकी भूमिका के संबंध में जांच पड़ताल जारी है। एसपी ब्रजेश सिंह ने बताया कि मामले की विवेचना चल रही है। आगे जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी। एक स्कूल प्रबंधक के गोदाम में अवैध कारोबार पकड़े जाने के बाद से जोन भर में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

पब्लिक नहीं देती सूचना, पुलिस भी नहीं उठाती जहमत

किराएदार रखने के पूर्व उसका पूरा वेरीफिकेशन कराने का नियम है। लेकिन कई बार अधिक किराए के चक्कर में लोग बिना जांच पड़ताल के किसी को भी किराए पर मकान, दुकान या गोदाम दे देते हैं। किराएदार रखने के बाद ज्यादातर मकान मालिक सिर्फ अपने किराए से मतलब रखते हैं। इसके अलावा वह अन्य किसी चीज पर गौर नहीं करते। इसका गलत फायदा उठाकर किराएदार भी कई बार अवैध कामों को अंजाम देते हैं। कोई घटना होने पर जब पुलिस कार्रवाई करती है तो लैंडलॉर्ड अपनी जवाबदेही से बचते हैं। उनका कहना होता है कि उन्होंने किराए पर कमरा दे दिया था लेकिन इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस टीम भी कार्रवाई करने के बजाय मामला टाल जाती है। किराएदार का वेरीफिकेशन कराने की जिम्मेदारी ऑनर की होती है। लेकिन वह लोग भी पुलिस को सूचना नहीं देते हैं। जबकि पुलिस भी अपने स्तर से कार्रवाई की जहमत नहीं उठाती।

किराएदार रखते समय इन बातों का दें ध्यान

- मकान किराए पर देने के दौरान संबंधित लोगों के बारे में जानकारी जुटाएं।

- सभी किराएदारों के मोबाइल नंबर, पहचान पत्र सहित अन्य दस्तावेज सुरक्षित रखें।

- किराएदारों के बारे में सूचना लोकल पुलिस स्टेशन को देकर उनका वेरीफिकेशन कराएं।

- यूपी पुलिस की वेबसाइट पर किराएदार के वेरीफिकेशन की सुविधा मौजूद है।

- दुकान या गोदाम किराए पर देने के पूर्व उसमें होने वाले कारोबार की तस्दीक कर लें।

- दुकान शुरू होने के बाद किस तरह के सामानों की बिक्री हो रही है। इस संबंध में समय-समय पर जानकारी लेते रहें।

- आमतौर पर किराए पर दिए गोदाम को लेकर लोग सजग नहीं रहते। गोदाम में किस तरह का सामान, स्टॉक रखा जा रहा है। इसके बारे में समय-समय पर जानकारी लेते रहें।

वर्जन

किराएदारों के वेरीफिकेशन के संबंध में पूर्व में निर्देश जारी किए जा चुके हैं। जिन लोगों ने किराएदार रखे हैं वह लोग खुद पुलिस को सूचना दे सकते हैं। कोई गड़बड़ी सामने आई तो कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी